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मोक्षस्थली गया में चैत्र मिनी पितृपक्ष पर कोरोनावायरस की छाया, पिंडदानियों की संख्या में भारी कमी
गया। कोरोनावायरस संक्रमण के डर का प्रभाव अब मोक्षस्थली बिहार के गया में भी देखने को मिल रहा है। कोरोनावायरस के संक्रमण के भय का आलम यह है कि पूर्वजों (पितरों) को मोक्ष दिलाने में यह आड़े आ रहा है। कोरोना का प्रभाव ही माना जा रहा है कि मिनी पितृपक्ष में भी गयाधाम में पिंडदान के लिए आने वाले पिंडदानियों की संख्या में भारी कमी आई है। 15 दिनों के चैत्र महीने के पहले पक्ष को मिनी पितृ पक्ष या मातृपक्ष कहा जाता है।
स्थानीय पंडों के मुताबिक, इस साल कोरोनावायरस के भय से पिंडदानियों की संख्या में 75 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है। तीर्थवृत सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गयापाल गजाधर लाल जी आईएएनएस को बताते हैं, वैसे तो गयाजी में हर दिन पिंडदान का महत्व है। चैत्र में धार्मिक श्राद्घ का महत्व है। चैत्र महीने के पहले पक्ष को मिनी पितृपक्ष या मातृपक्ष कहा जाता है। देश के हर कोने से पिंडदानी गयाजी में आकर पितृकार्य संपन्न करते हैं।
अमावस्या के दिन सबसे ज्यादा भीड़ होती है। उन्होंने बताया कि चैत्र महीने में पडऩे वाले मिनी पितृपक्ष में उत्तरप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कनार्टक से श्रद्घालु बड़ी संख्या में पिंडदान के लिए यहां आते हैं, लेकिन इस साल पिंडवेदियां सूनी हैं। मनीलाल पंडा कहते हैं, चैत्र पितृपक्ष की समाप्ति 24 मार्च को आमावस्या को होनी है, लेकिन अभी तक यहां 20-25 हजार ही श्रद्घालु पहुंच सके हैं, जबकि इस पक्ष में एक लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों का यहां जमावड़ा लगता था।
दूसरे राज्यों में विष्णुपद मंदिर बंद होने की अफवाह खूब उड़ रही है। तीर्थयात्री अपने पंडों से संपर्क कर मंदिर बंद है या खुला है, इसकी जानकारी ले रहे हैं, साथ ही अपनी बुकिंग को भी रद्द करा रहे हैं। श्री विष्णुपद प्रबंधकार्यकारिणी समिति के सदस्य शंभुलाल वि_ल कहते हैं, चैत्र कृष्ण पक्ष में सबसे अधिक तीर्थयात्री पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से आते हैं। इस साल कोरोना के भय से 15 बसों से आने वाले तीर्थ यात्री नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात के भी कई लोग 21, 22 और 23 मार्च को आने वाले थे, उन लोगों ने भी अपनी यात्रा रद्द करने की सूचना दे दी है।
स्थानीय पंडों के मुताबिक, इस साल कोरोनावायरस के भय से पिंडदानियों की संख्या में 75 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है। तीर्थवृत सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गयापाल गजाधर लाल जी आईएएनएस को बताते हैं, वैसे तो गयाजी में हर दिन पिंडदान का महत्व है। चैत्र में धार्मिक श्राद्घ का महत्व है। चैत्र महीने के पहले पक्ष को मिनी पितृपक्ष या मातृपक्ष कहा जाता है। देश के हर कोने से पिंडदानी गयाजी में आकर पितृकार्य संपन्न करते हैं।
अमावस्या के दिन सबसे ज्यादा भीड़ होती है। उन्होंने बताया कि चैत्र महीने में पडऩे वाले मिनी पितृपक्ष में उत्तरप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कनार्टक से श्रद्घालु बड़ी संख्या में पिंडदान के लिए यहां आते हैं, लेकिन इस साल पिंडवेदियां सूनी हैं। मनीलाल पंडा कहते हैं, चैत्र पितृपक्ष की समाप्ति 24 मार्च को आमावस्या को होनी है, लेकिन अभी तक यहां 20-25 हजार ही श्रद्घालु पहुंच सके हैं, जबकि इस पक्ष में एक लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों का यहां जमावड़ा लगता था।
दूसरे राज्यों में विष्णुपद मंदिर बंद होने की अफवाह खूब उड़ रही है। तीर्थयात्री अपने पंडों से संपर्क कर मंदिर बंद है या खुला है, इसकी जानकारी ले रहे हैं, साथ ही अपनी बुकिंग को भी रद्द करा रहे हैं। श्री विष्णुपद प्रबंधकार्यकारिणी समिति के सदस्य शंभुलाल वि_ल कहते हैं, चैत्र कृष्ण पक्ष में सबसे अधिक तीर्थयात्री पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से आते हैं। इस साल कोरोना के भय से 15 बसों से आने वाले तीर्थ यात्री नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात के भी कई लोग 21, 22 और 23 मार्च को आने वाले थे, उन लोगों ने भी अपनी यात्रा रद्द करने की सूचना दे दी है।
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