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अधूरे बागछाल पुल का एक बार फिर कार्य आरंभ, उच्च न्यायालय तक का किया सफर
बिलासपुर। श्री नयना देवी विधानसभा व झंडूत्ता विधानसभा के मध्य सेतू का कार्य करने वाला तथा अपने निर्माण हेतु माननीय उच्च न्यायालय तक का सफर तय करने के लिए चर्चित रहे अधूरे बागछाल पुल का एक बार फिर विधिवत रूप से कार्य आरंभ हो गया। इस अवसर पर लोक निर्माण विभाग डिवीजन नंबर-2 के अधिशाषी अभियंता एक्सीसन आरके शर्मा की मौजूदगी में बीच मझधार खड़े बागछाल पुल का मन्त्रोच्चारण के साथ कम्पनी ने पुल को पूर्ण करने के लिए कार्य आरंभ कर दिया।
विभाग की माने तो पुल के प्रारूप व स्थान में कोई बदलाव नहीँ किया गया है तथा पहले से बागछाल पुल के गोबिंद सागर झील के अन्दर बने दोनों पिल्लरों को 30-30 मीटर की बोरिंग करके और गहरा किया जाएगा ताकि पिल्लर हिलने की भ्रान्ति को दूर कर पुल को और मजबूती प्रदान की जा सके। कम्पनी को पुल की पूर्व निर्धारित लागत की तुलना में 16.65 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है। पहले की ही तरह अधूरे इस पुल का निर्माण कार्य बीच में छोड़ चुकी गैमन इंडिया कम्पनी ही शेष बचे कार्य को पूरा करेगी। पुल निर्माण के बचे कार्य को दोबारा आरंभ करवाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले सलवाड़ पंचायत के पूर्व प्रधान कांशी राम के साथ-साथ इस अवसर पर गैमन इंडिया के प्रोजैक्ट इंजीनियर भी उपस्थित रहे।
इस बागछाल पुल का शिलान्यास वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया था जिसके 3 वर्ष बाद पुल का काम बन्द हो गया। पंचायत के पूर्व प्रधान कांशी राम ने जून 2015 को माननीय उच्च न्यायालय में पुल निर्माण को लेकर जनहित याचिका दायर की थी जिस पर हाईकोर्ट ने सितम्बर 2016 में ग्रामीणों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को 1 वर्ष के भीतर इस पुल को तैयार करने के आदेश दिए थे।
कुल मिलाकर कहा जाए तो अपने तमाम हिचकोलों भरे सफर को तय करते हुए एक बार फिर बागछाल पुल के निर्माण कार्य से दोनों विधानसभा क्षेत्रों के लोगोँ में एक नई आस जगी है और अब यह देखना बाकी है कि इस पुल को तैयार करके कब तक जनता को समर्पित किया जाता है।
विभाग की माने तो पुल के प्रारूप व स्थान में कोई बदलाव नहीँ किया गया है तथा पहले से बागछाल पुल के गोबिंद सागर झील के अन्दर बने दोनों पिल्लरों को 30-30 मीटर की बोरिंग करके और गहरा किया जाएगा ताकि पिल्लर हिलने की भ्रान्ति को दूर कर पुल को और मजबूती प्रदान की जा सके। कम्पनी को पुल की पूर्व निर्धारित लागत की तुलना में 16.65 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है। पहले की ही तरह अधूरे इस पुल का निर्माण कार्य बीच में छोड़ चुकी गैमन इंडिया कम्पनी ही शेष बचे कार्य को पूरा करेगी। पुल निर्माण के बचे कार्य को दोबारा आरंभ करवाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले सलवाड़ पंचायत के पूर्व प्रधान कांशी राम के साथ-साथ इस अवसर पर गैमन इंडिया के प्रोजैक्ट इंजीनियर भी उपस्थित रहे।
इस बागछाल पुल का शिलान्यास वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने किया था जिसके 3 वर्ष बाद पुल का काम बन्द हो गया। पंचायत के पूर्व प्रधान कांशी राम ने जून 2015 को माननीय उच्च न्यायालय में पुल निर्माण को लेकर जनहित याचिका दायर की थी जिस पर हाईकोर्ट ने सितम्बर 2016 में ग्रामीणों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को 1 वर्ष के भीतर इस पुल को तैयार करने के आदेश दिए थे।
कुल मिलाकर कहा जाए तो अपने तमाम हिचकोलों भरे सफर को तय करते हुए एक बार फिर बागछाल पुल के निर्माण कार्य से दोनों विधानसभा क्षेत्रों के लोगोँ में एक नई आस जगी है और अब यह देखना बाकी है कि इस पुल को तैयार करके कब तक जनता को समर्पित किया जाता है।
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