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पंजाब में हुई हिंसा के लिए बादल सरकार जिम्मेदार: रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट
चंडीगढ़। गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले के बाद पंजाब में हुई हिंसा की जांच के लिए बनाए गए जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पंजाब विधानसभा में पेश कर दिया है। इस रिपोर्ट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि घटना के समय पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जिला प्रशासन बल्कि राज्य के डीजीपी से लगातार सम्पर्क बनाए हुए थे। साथ ही उनको कोटकपुरा में हुई घटना की पूरी जानकारी से अवगत थे।
इस मामले में मुख्य गवाह हिम्मत सिंह ने आयोग के समक्ष बताया था कि यह हिंसा बादल सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को फायदा पहुंचाने के लिए करवाया गया था। वहीं रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट के पेश होने से पहले ही हिम्मत सिंह अपने बयान से पलट गए हैं। हिम्मत सिंह ने बताया कि उसने जस्टिस रंजीत सिंह और पंजाब के जेल मंत्री नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा के दबाव में बादल परिवार और अकाली दल के खिलाफ झूठा बयान दिलवाया गया है। उन्होंने कहा कि बरगाड़ी व बहबल कलां में हुई पुलिस फायरिंग की घटनाओं को उस वक्त की बादल सरकार और अकाली दल की साजिश बताया गया है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
इससे पहले जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर सोमवार को शुरू हुए पंजाब विधानसभा सत्र के पहले दिन काफी हंगामा हो गया। जब रिपोर्ट पेश होने से पहले ही विधानसभा के बाहर इसकी कॉपियां बिखेर दी गई थी। अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने कहा कि जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट एक झूठ का एक पुलिंदा है, जिसे कांग्रेस की कैप्टन सरकार ने अकाली दल को बदनाम करने के लिए साजिश तहत तैयार करवाया गया है। बादल ने कहा कि इस रिपोर्ट का विधानसभा में अकाली दल की तरफ से विरोध होगा।
उल्लेख है कि पंजाब में करीब दो साल पूर्व हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में पंजाब के बरगाड़ी और बहबल कलां में सिख जत्थेबंदियों और पंजाब पुलिस के बीच हुई ङ्क्षहसक झड़प और फायरिंग में कुछ लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद अकाली-बीजेपी सरकार बदलने पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इन दोनों घटनाओं की जांच करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया गया था।
इस मामले में मुख्य गवाह हिम्मत सिंह ने आयोग के समक्ष बताया था कि यह हिंसा बादल सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को फायदा पहुंचाने के लिए करवाया गया था। वहीं रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट के पेश होने से पहले ही हिम्मत सिंह अपने बयान से पलट गए हैं। हिम्मत सिंह ने बताया कि उसने जस्टिस रंजीत सिंह और पंजाब के जेल मंत्री नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा के दबाव में बादल परिवार और अकाली दल के खिलाफ झूठा बयान दिलवाया गया है। उन्होंने कहा कि बरगाड़ी व बहबल कलां में हुई पुलिस फायरिंग की घटनाओं को उस वक्त की बादल सरकार और अकाली दल की साजिश बताया गया है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
इससे पहले जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर सोमवार को शुरू हुए पंजाब विधानसभा सत्र के पहले दिन काफी हंगामा हो गया। जब रिपोर्ट पेश होने से पहले ही विधानसभा के बाहर इसकी कॉपियां बिखेर दी गई थी। अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने कहा कि जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट एक झूठ का एक पुलिंदा है, जिसे कांग्रेस की कैप्टन सरकार ने अकाली दल को बदनाम करने के लिए साजिश तहत तैयार करवाया गया है। बादल ने कहा कि इस रिपोर्ट का विधानसभा में अकाली दल की तरफ से विरोध होगा।
उल्लेख है कि पंजाब में करीब दो साल पूर्व हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में पंजाब के बरगाड़ी और बहबल कलां में सिख जत्थेबंदियों और पंजाब पुलिस के बीच हुई ङ्क्षहसक झड़प और फायरिंग में कुछ लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद अकाली-बीजेपी सरकार बदलने पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इन दोनों घटनाओं की जांच करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस रंजीत सिंह की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया गया था।
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