Advertisement
AAP ने रियायतों से मारी बाजी! केजरीवाल मॉडल से उड़ी भाजपा-कांग्रेस सरकारों की नींद, पढ़ें...
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल आईएएनएस से कहते हैं, पश्चिम बंगाल और
महाराष्ट्र की सरकारों की उत्सुकता से समझा जा सकता है कि दिल्ली में 200
यूनिट फ्री बिजली का दांव चल कर अरविंद केजरीवाल देश में सस्ती बिजली को एक
राष्ट्रीय विमर्श बनाने में सफल रहे हैं। जिस तरह से मुफ्त बिजली, पानी
आदि रियायतों के दम पर केजरीवाल सत्ता में वापसी करने में सफल रहे हैं,
उससे अब अन्य राज्यों में भाजपा, कांग्रेस की सरकारें भी बेचैन होंगी।
हालांकि दिल्ली की तरह बड़े राज्यों में भी बिजली सस्ती करना बहुत मुश्किल है। दिल्ली को राज्य से ज्यादा एक शहर के रूप में देखना ठीक है और शहर में कोई प्रयोग करना आसान होता है। ऐसे में दूसरी सरकारों को ऐसी रियायतें देना जोखिम भी लग रहा होगा। रतनमणि लाल यह भी कहते हैं, दिल्ली में केजरीवाल की फिर से 62 सीटों की भारी जीत के बाद भाजपा पर अपने शासन वाले राज्यों में बिजली, पानी, स्कूलों को लेकर एक पॉलिसी बनाने का दबाव होगा, जिससे जनता को राहत मिलती दिखाई दे।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी जगजाहिर है। हर साल बढऩे वाली भारी फीस से मध्यमवर्गीय परिवारों की परेशानी पर सरकार को गंभीर होना होगा। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, पंजाब हो या फिर भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक सहित पूर्वोत्तर के राज्य दिल्ली में केजरीवाल की वापसी के बाद इन राज्यों में भी बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर जनता के बीच मांग उठने लगी है। केजरीवाल की दिल्ली में जीत से देश में यह संदेश गया है कि अब चुनाव जातियों के वोटबैंक से नहीं, बल्कि योजनाओं के लाभार्थियों के वोटबैक से जीते जाएंगे। ऐसे में इन राज्यों की सरकारें भी दबाव में हैं। चुनाव से पहले इन राज्यों में भी रियायतों की बौछार हो सकती है।
हालांकि दिल्ली की तरह बड़े राज्यों में भी बिजली सस्ती करना बहुत मुश्किल है। दिल्ली को राज्य से ज्यादा एक शहर के रूप में देखना ठीक है और शहर में कोई प्रयोग करना आसान होता है। ऐसे में दूसरी सरकारों को ऐसी रियायतें देना जोखिम भी लग रहा होगा। रतनमणि लाल यह भी कहते हैं, दिल्ली में केजरीवाल की फिर से 62 सीटों की भारी जीत के बाद भाजपा पर अपने शासन वाले राज्यों में बिजली, पानी, स्कूलों को लेकर एक पॉलिसी बनाने का दबाव होगा, जिससे जनता को राहत मिलती दिखाई दे।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी जगजाहिर है। हर साल बढऩे वाली भारी फीस से मध्यमवर्गीय परिवारों की परेशानी पर सरकार को गंभीर होना होगा। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, पंजाब हो या फिर भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक सहित पूर्वोत्तर के राज्य दिल्ली में केजरीवाल की वापसी के बाद इन राज्यों में भी बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर जनता के बीच मांग उठने लगी है। केजरीवाल की दिल्ली में जीत से देश में यह संदेश गया है कि अब चुनाव जातियों के वोटबैंक से नहीं, बल्कि योजनाओं के लाभार्थियों के वोटबैक से जीते जाएंगे। ऐसे में इन राज्यों की सरकारें भी दबाव में हैं। चुनाव से पहले इन राज्यों में भी रियायतों की बौछार हो सकती है।
Advertisement
Advertisement
प्रमुख खबरें
Advertisement