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AP : देश को पीएम-प्रेसिडेंट देने वाले 'नांदयाल' में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय
अमरावती। आंध्र प्रदेश की नांदयाल लोकसभा सीट एकमात्र ऐसी सीट हैं जहां से ऐसे दो दिग्गज नेता निर्वाचित हुए जो देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंचे। नीलम संजीव रेड्डी 1977 में चुनाव के बाद राष्ट्रपति बने जबकि 1991 में प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव भारी बहुमत से यहां से निर्वाचित हुए।
1977 में यहां से जीते नीलम संजीव रेड्डी
संजीव रेड्डी 1977 में कुरनूल जिले में स्थित इस निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी की टिकट पर निर्वाचित हुए थे। वह सर्वसम्मति से लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए थे और तीन महीने बाद वह निर्विरोध देश के छठे राष्ट्रपति बने।
नरसिम्हा राव पीएम बने, फिर उन्हें यहां से चुनाव लड़ाया गया
वर्तमान में तेलंगाना राज्य के करीमनगर जिले के रहने वाले नरसिम्हा राव जून 1991 में प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने उस साल आम चुनाव नहीं लड़ा था, ऐसे में उन्हें पद पर बने रहने के लिए संसद में प्रवेश करना था। नांदयाल से निर्वाचित कांग्रेस के गंगुला प्रताप रेड्डी ने इस्तीफा देकर नरसिम्हा राव के लिए सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने 'मिट्टी के बेटे' के सर्वसम्मति से चुनाव को सुनिश्चित करना चुना। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बंगारू लक्ष्मण को चुनाव मैदान में राव के मुकाबले में उतारा था।
नरसिम्हा राव ने जीत का रिकार्ड बनाया और लक्ष्मण को 580,297 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। दिग्गज कांग्रेस नेता 1996 में फिर से निर्वाचित हुए लेकिन उनकी बढ़त घट गई। उन्होंने तेदेपा के अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी भुमा नागी रेड्डी को 98,530 वोटों के अंतर से हराया था।
हालांकि नरसिम्हा राव ने दो सीटों से निर्वाचित होने के बाद ओडिशा की ब्रह्मपुर सीट को चुना और नांदयाल को छोड़ दिया। 1996 में हुए उपचुनाव में तेदेपा के लिए भुमा ने सीट पर कब्जा जमाया और 1998 और 1999 में भी इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। कांग्रेस ने 2004 में इस सीट पर फिर से कब्जा जमाया और 2009 में भी अपना दबदबा बरकरार रखा। लेकिन उसके बाद से सबसे पुरानी पार्टी यहां अपने वजूद को बचाने की कवायद में लगी हुई है।
कांग्रेस के लिए दो बार सीट जीतने वाले एस.पी.वाई. रेड्डी ने 2014 का चुनाव वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के उम्मीदवार के रूप में लड़ा और उन्होंने तेदेपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एन.एम. फारूक को एक लाख से अधिक मतों से हराया। कांग्रेस 16,378 वोटों के साथ कुल वोटों का 1.36 प्रतिशत हिस्सा ही हासिल कर पाई क्योंकि आंध्र प्रदेश के विभाजन ने कांग्रेस की राह को कठिन बना दिया था।
वाईएसआरसीपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद एस.पी.वाई. रेड्डी तेदेपा पार्टी में शामिल हो गए। हालांकि तेदेपा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद वह अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना के उम्मीदवार के रूप में अब दावेदारी ठोक रहे हैं।
सत्तारूढ़ तेदेपा ने भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मंद्रा शिवनंदा रेड्डी को चुनाव मैदान में उतारा है। उन्होंने राजनीति में आने के लिए स्वेच्छा से आईपीएस से सेवानिवृत्ति ली थी। वह वाईएसआरसीपी में शामिल हुए थे लेकिन 2014 चुनाव के बाद वह तेदेपा से जुड़ गए।
वाईएसआरसीपी ने कुछ दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए उद्योगपति पोचा ब्रह्मानंदा रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। भारती सीड कंपनी के अध्यक्ष चुनावी राजनीति में अपना सफर शुरू कर रहे हैं।
व्यापारी से राजनेता बने एस.वाई. रेड्डी मतदाताओं के बीच, विशेषकर किसानों में लोकप्रिय हैं। तेदेपा और वाईएसआरसीपी दोनों ही इस बात को लेकर आशंकित हैं कि वह किसके वोट काटेंगे।
कांग्रेस ने जे. लक्ष्मीनरसिम्हा यादव को मैदान में उतारा है लेकिन उनसे अपनी पार्टी की किस्मत बदलने की उम्मीद कम ही है। लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र रहने के बावजूद नांदयाल में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। सात विधानसभा क्षेत्र वाले नांदयाल निर्वाचन क्षेत्र में 16 लाख मतदाता हैं।
--आईएएनएस
1977 में यहां से जीते नीलम संजीव रेड्डी
संजीव रेड्डी 1977 में कुरनूल जिले में स्थित इस निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी की टिकट पर निर्वाचित हुए थे। वह सर्वसम्मति से लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए थे और तीन महीने बाद वह निर्विरोध देश के छठे राष्ट्रपति बने।
नरसिम्हा राव पीएम बने, फिर उन्हें यहां से चुनाव लड़ाया गया
वर्तमान में तेलंगाना राज्य के करीमनगर जिले के रहने वाले नरसिम्हा राव जून 1991 में प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने उस साल आम चुनाव नहीं लड़ा था, ऐसे में उन्हें पद पर बने रहने के लिए संसद में प्रवेश करना था। नांदयाल से निर्वाचित कांग्रेस के गंगुला प्रताप रेड्डी ने इस्तीफा देकर नरसिम्हा राव के लिए सीट छोड़ दी थी। उपचुनाव में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने 'मिट्टी के बेटे' के सर्वसम्मति से चुनाव को सुनिश्चित करना चुना। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बंगारू लक्ष्मण को चुनाव मैदान में राव के मुकाबले में उतारा था।
नरसिम्हा राव ने जीत का रिकार्ड बनाया और लक्ष्मण को 580,297 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। दिग्गज कांग्रेस नेता 1996 में फिर से निर्वाचित हुए लेकिन उनकी बढ़त घट गई। उन्होंने तेदेपा के अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी भुमा नागी रेड्डी को 98,530 वोटों के अंतर से हराया था।
हालांकि नरसिम्हा राव ने दो सीटों से निर्वाचित होने के बाद ओडिशा की ब्रह्मपुर सीट को चुना और नांदयाल को छोड़ दिया। 1996 में हुए उपचुनाव में तेदेपा के लिए भुमा ने सीट पर कब्जा जमाया और 1998 और 1999 में भी इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। कांग्रेस ने 2004 में इस सीट पर फिर से कब्जा जमाया और 2009 में भी अपना दबदबा बरकरार रखा। लेकिन उसके बाद से सबसे पुरानी पार्टी यहां अपने वजूद को बचाने की कवायद में लगी हुई है।
कांग्रेस के लिए दो बार सीट जीतने वाले एस.पी.वाई. रेड्डी ने 2014 का चुनाव वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के उम्मीदवार के रूप में लड़ा और उन्होंने तेदेपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एन.एम. फारूक को एक लाख से अधिक मतों से हराया। कांग्रेस 16,378 वोटों के साथ कुल वोटों का 1.36 प्रतिशत हिस्सा ही हासिल कर पाई क्योंकि आंध्र प्रदेश के विभाजन ने कांग्रेस की राह को कठिन बना दिया था।
वाईएसआरसीपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद एस.पी.वाई. रेड्डी तेदेपा पार्टी में शामिल हो गए। हालांकि तेदेपा ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद वह अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना के उम्मीदवार के रूप में अब दावेदारी ठोक रहे हैं।
सत्तारूढ़ तेदेपा ने भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी मंद्रा शिवनंदा रेड्डी को चुनाव मैदान में उतारा है। उन्होंने राजनीति में आने के लिए स्वेच्छा से आईपीएस से सेवानिवृत्ति ली थी। वह वाईएसआरसीपी में शामिल हुए थे लेकिन 2014 चुनाव के बाद वह तेदेपा से जुड़ गए।
वाईएसआरसीपी ने कुछ दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए उद्योगपति पोचा ब्रह्मानंदा रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। भारती सीड कंपनी के अध्यक्ष चुनावी राजनीति में अपना सफर शुरू कर रहे हैं।
व्यापारी से राजनेता बने एस.वाई. रेड्डी मतदाताओं के बीच, विशेषकर किसानों में लोकप्रिय हैं। तेदेपा और वाईएसआरसीपी दोनों ही इस बात को लेकर आशंकित हैं कि वह किसके वोट काटेंगे।
कांग्रेस ने जे. लक्ष्मीनरसिम्हा यादव को मैदान में उतारा है लेकिन उनसे अपनी पार्टी की किस्मत बदलने की उम्मीद कम ही है। लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र रहने के बावजूद नांदयाल में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। सात विधानसभा क्षेत्र वाले नांदयाल निर्वाचन क्षेत्र में 16 लाख मतदाता हैं।
--आईएएनएस
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