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नवीनतम डिसॉल्वेबल स्टेंट तकनीक का उपयोग कर की गई एंजियोप्लास्टी, आखिर कैसे, यहां पढ़ें

khaskhabar.com : शुक्रवार, 20 मई 2022 2:52 PM (IST)
नवीनतम डिसॉल्वेबल स्टेंट तकनीक का उपयोग कर की गई एंजियोप्लास्टी, आखिर कैसे, यहां पढ़ें
जयपुर । राजधानी के नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की कार्डियोलॉजी टीम ने एक और उपलब्धि हासिल की है। सीनियर हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल चौधरी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में एक 28 वर्षीय मरीज की डिसॉल्वेबल स्टेंट तकनीक का उपयोग कर एंजियोप्लास्टी की है। इस तकनीक को विशेष रूप से इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में, खासकर की कोरोनरी इंटवेंशन्स में चौथी क्रांति के रूप में माना जाता है। यह डिसॉल्वेबल स्टेंट ब्लॉकेज को ठीक कर, आम तौर पर शरीर में 3 साल में घुल जाते है।
28 वर्षीय दीपक (बदला हुआ नाम) को एक पारिवारिक समारोह में भाग लेने के दौरान सीने में अचानक भारीपन महसूस होने लगा। जब परिवार के सदस्यों ने नारायणा हॉस्पिटल में तुरंत जाँच कराने का आग्रह किया तो प्रारंभिक जाँचों में हृदय में परिवर्तन साफ नजर आ रहे थे जो कि एक हार्ट अटैक की ओर ईशारा कर रहे थे। युवा मरीज की तुरंत एंजियोग्राफी की गई और यह पाया गया कि हार्ट की एक मुख्य धमनी में 95% ब्लॉकेज था, जिसके परिणामस्वरूप मरीज को हार्ट अटैक आया था और हृदय की कार्य क्षमता (इजेक्शन फ्रैक्शन) भी 40% रह गई थी। रोगी की उम्र और उसके आने वाले जीवन के इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि वह एक आई.ए.एस. एस्पिरैंट हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में शारीरिक परीक्षणों को सफलतापूर्वक पास करना चाहता था, डॉ. निखिल चौधरी ने बायो-डिग्रेडेबल डिसॉल्वेबल स्टेंट का उपयोग करने का फैसला लिया। रोगी एवं उसके परिवार के सदस्यों की सहमति लेने के बाद उसी दिन सफलतापूर्वक एंजियोप्लास्टी की गई।
नारायणा मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. निखिल चौधरी ने बताया की, बायो-डिग्रेडेबल डिसॉल्वेबल स्टेंट, एक नई तकनीक है इसलिए तकनीक की गहराई से समझ, सही मरीज़ का चयन और आईवस जैसी उन्नत इमेजिंग तकनीकों का उपयोग- स्टेंट को पूर्ण सटीकता से लगाने के लिए, उतना ही महत्व रखता है। आम तौर पर एंजियोप्लास्टी में धातु से बने हुए स्टेंट काम में लिये जाते है जो शरीर में जीवन भर रहते है जबकि यह बायो-डिग्रेडेबल डिसॉल्वेबल स्टेंट ब्लॉकेज को ठीक कर, आमतौर पर 3 साल में शरीर में घुल जाते है।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर बलविंदर सिंह वालिया ने कहा, हम नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर में होने वाली प्रोसिजर एवं सर्जरी और उसमें उपयोग की जाने वाली तकनीकों को लगातार एडवांस कर रहे है, ताकि हम हमारे मरीजों को विश्वस्तरीय सेवाऐं दे सके, जो उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने में सहायक बने।
इस प्रक्रिया में उपयोग किया जाने वाला स्टेंट मेड इन इंडिया है, स्वयं घुल जाने वाले पॉलिमर से बना हुआ है और पहले इस्तेमाल किये जाने वाले स्टेंट टेक्नोलॉजी की तुलना में बेहतर परिणाम देने के लिए सिद्ध है। एंजियोप्लास्टी पश्चात् ईसीजी ने अच्छे परिणाम दिखाए, हृदय की कार्यप्रणाली में भी सुधार हुआ और मरीज को अगले ही दिन हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।

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