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श्रीलंका की संसद को भंग करने का विरोध, US, ब्रिटेन ने भी की आलोचना
कोलंबो। श्रीलंका में राष्ट्रपति की ओर से संसद को भंग करने के निर्णय का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना की जा रही है। इसके बाद श्रीलंका में राजनीतिक संकट और गहरा गया है। अमेरिका और ब्रिटेन ने श्रीलंका के राष्ट्रपति के इस निर्णय की आलोचना की है। आपको बताते जाए कि शुक्रवार को श्रीलंका राष्ट्रपति सिरीसेना ने संसद को भंग करने का आदेश जारी कर दिया था। महिंदा राजपक्षे को विक्रमसिंघे की जगह प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद नई सरकार के बहुमत साबित नहीं कर पाने की आशंका होने के बाद राष्ट्रपति ने यह बड़ा निर्णय लिया है। सिरीसेना ने श्रीलंका में 5 जनवरी को मध्यावधि चुनावों की घोषणा भी कर दी है।
गत माह विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के सिरीसेना के निर्णय ने श्रीलंका में बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। सिरीसेना ने विक्रमसिंघे के स्थान पर राजपक्षे को नियुक्त किया था जिन्हें चीन समर्थक नेता माना जाता रहा है। सिरीसेना के विरोधियों ने उनके संसद भंग करने के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में इसे अवैध और असंवैधानिक बता दिया है। अमेरिका भी श्रीलंका से आ रही खबरों को लेकर बहुत चिंतित है।
गत माह विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के सिरीसेना के निर्णय ने श्रीलंका में बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। सिरीसेना ने विक्रमसिंघे के स्थान पर राजपक्षे को नियुक्त किया था जिन्हें चीन समर्थक नेता माना जाता रहा है। सिरीसेना के विरोधियों ने उनके संसद भंग करने के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में इसे अवैध और असंवैधानिक बता दिया है। अमेरिका भी श्रीलंका से आ रही खबरों को लेकर बहुत चिंतित है।
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