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अमरिंदर ने सेना संग पारिवारिक रिश्ते की शताब्दी मनाई
उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारतीय सेना अभी भी लोगों की सेवा करने के लिए उन्हें प्रेरित करती है।
उनके एक करीबी सैन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, अमरिंदर सिंह ने 1963 से 1969 तक सिख रेजिमेंट के दूसरे बटालियन में अपनी सेवाएं दी थीं। हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्होंने काफी कम समय के अंदर ही इसे छोड़ दिया, लेकिन 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू होने पर सेना के प्रति उनके प्यार ने उन्हें फिर से वापस लाया।
उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल महाराजा यादवेंद्र सिंह ने 1935 में रेजीमेंट में अपनी सेवा प्रदान की और 1938 से 1950 के बीच 2/11 वह शाही सिखों और 1950 से 1971 के बीच दो सिखों के कर्नल थे।
अमरिंदर सिंह के दादा मेजर जनरल महाराजा भूपिंदर सिंह 1918 से 1922 तक 15वें लुधियाना सिखों के और इसके बाद 1922 से 1938 तक 2/11 शाही सिखों के कर्नल थे।
--आईएएनएस
उनके एक करीबी सैन्य अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, अमरिंदर सिंह ने 1963 से 1969 तक सिख रेजिमेंट के दूसरे बटालियन में अपनी सेवाएं दी थीं। हालांकि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्होंने काफी कम समय के अंदर ही इसे छोड़ दिया, लेकिन 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू होने पर सेना के प्रति उनके प्यार ने उन्हें फिर से वापस लाया।
उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल महाराजा यादवेंद्र सिंह ने 1935 में रेजीमेंट में अपनी सेवा प्रदान की और 1938 से 1950 के बीच 2/11 वह शाही सिखों और 1950 से 1971 के बीच दो सिखों के कर्नल थे।
अमरिंदर सिंह के दादा मेजर जनरल महाराजा भूपिंदर सिंह 1918 से 1922 तक 15वें लुधियाना सिखों के और इसके बाद 1922 से 1938 तक 2/11 शाही सिखों के कर्नल थे।
--आईएएनएस
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