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फरार सट्टेबाज चावला को लेने लंदन गई पुलिस, पूर्व पुलिस आयुक्त ने बताए क्रिकेट के कई स्याह सच
नीरज कुमार ने आगे बताया, तब जाकर सट्टेबाज संजीव चावला की फरारी वाली फाइल बरामद हो सकी। फाइल मिली अशोक विहार इलाके में एक पुलिस वाले की अलमारी में। तब तक 13 साल में संजीव चावला की फरारी केस के 12-13 जांच अधिकारी बदले जा चुके थे। यह अलग बात है कि इतने साल गुजर जाने के बाद भी न संजीव चावला दिल्ली पुलिस को मिल सका और न ही किसी पुलिस अफसर ने फाइल को कोई अहमियत देना मुनासिब समझा।
बकौल नीरज कुमार, फाइल तो मिल गई, लेकिन समस्या थी कि अब इस फाइल को आगे कैसे बढ़ाया जाए। इसके लिए मैंने उस वक्त दिल्ली पुलिस अपराध शाखा में विशेष आयुक्त रहे धर्मेंद्र कुमार को पूरी बात बताई। मैंने उनसे कहा कि मैं 31 जुलाई, 2013 को दिल्ली पुलिस आयुक्त पद से रिटायर होने वाला हूं। 13 साल से फरार चल रहे क्रिकेट के इस अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाज संजीव चावला के खिलाफ अदालत में आरोप-पत्र दाखिल करके कमिश्नरी छोडऩे का मन है।
संजीव चावला का आरोप-पत्र तैयार कराने में मैंने जो कदम उठाए, उसके अलावा विशेष आयुक्त धर्मेंद्र कुमार और संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार (अब रिटायर्ड) ने दिन-रात जिस तरह मदद की, उसे मैं ताउम्र नहीं भूल सकता हूं। उन्होंने कहा, मुझे खूब याद है कि सटोरिए संजीव चावला की फरारी की फाइल तलाश कर रिटायरमेंट वाले दिन उसके आरोप-पत्र पर मैं अपनी अंतिम मुहर न लगा आया होता तो दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम को संजीव चावला को लंदन से भारत लाने का मौका शायद आज भी ब-मुश्किल ही मिल पाता। मुझे आज इस बात की बेहद खुशी है कि चलो कम से कम वह दिन तो आया जब संजीव चावला जैसे भगोड़े अंतरराष्ट्रीय अपराधी को भारत लाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
(IANS)
बकौल नीरज कुमार, फाइल तो मिल गई, लेकिन समस्या थी कि अब इस फाइल को आगे कैसे बढ़ाया जाए। इसके लिए मैंने उस वक्त दिल्ली पुलिस अपराध शाखा में विशेष आयुक्त रहे धर्मेंद्र कुमार को पूरी बात बताई। मैंने उनसे कहा कि मैं 31 जुलाई, 2013 को दिल्ली पुलिस आयुक्त पद से रिटायर होने वाला हूं। 13 साल से फरार चल रहे क्रिकेट के इस अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाज संजीव चावला के खिलाफ अदालत में आरोप-पत्र दाखिल करके कमिश्नरी छोडऩे का मन है।
संजीव चावला का आरोप-पत्र तैयार कराने में मैंने जो कदम उठाए, उसके अलावा विशेष आयुक्त धर्मेंद्र कुमार और संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार (अब रिटायर्ड) ने दिन-रात जिस तरह मदद की, उसे मैं ताउम्र नहीं भूल सकता हूं। उन्होंने कहा, मुझे खूब याद है कि सटोरिए संजीव चावला की फरारी की फाइल तलाश कर रिटायरमेंट वाले दिन उसके आरोप-पत्र पर मैं अपनी अंतिम मुहर न लगा आया होता तो दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम को संजीव चावला को लंदन से भारत लाने का मौका शायद आज भी ब-मुश्किल ही मिल पाता। मुझे आज इस बात की बेहद खुशी है कि चलो कम से कम वह दिन तो आया जब संजीव चावला जैसे भगोड़े अंतरराष्ट्रीय अपराधी को भारत लाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
(IANS)
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