Air pollution: Not only Delhi, 66 other cities also fines-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Apr 19, 2024 4:15 pm
Location
Advertisement

वायु प्रदूषण : ‘दिल्ली ही नहीं, 66 अन्य शहरों पर भी लगे जुर्माना’

khaskhabar.com : सोमवार, 22 अक्टूबर 2018 12:35 PM (IST)
वायु प्रदूषण : ‘दिल्ली ही नहीं, 66 अन्य शहरों पर भी लगे जुर्माना’
(आईएएनएस)
जितेंद्र गुप्ता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार पर प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के फैसले को सही करार देते हुए पर्यावरणविद् व वैश्विक संगठनों का कहना है कि प्रदूषण को रोकने में विफल रहने पर केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) पर कार्ययोजना नहीं तैयार करने वाले 102 में से 66 शहरों पर भी इस तरह का जुर्माना लगाकर कार्रवाई की जानी चाहिए।

एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर आवासीय क्षेत्रों में लगी स्टील पिकलिंग यूनिट्स के खिलाफ कार्रवाई न करने के चलते यह जुर्माना लगाया और सरकार से इन यूनिट्स को तत्काल प्रभाव से बंद करने का भी निर्देश दिया।

इसके साथ ही एनजीटी ने वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इस कार्यक्रम को लागू करने की गति बेहद धीमी भी बताई है। एनजीटी ने पाया कि सितंबर 2018 तक 102 शहरों में से 73 शहरों ने कार्ययोजना जमा कराई जिसमें से सिर्फ 36 शहरों की ही कार्ययोजना तैयार है, जबकि 37 शहरों की योजना अभी भी अपूर्ण है। साथ ही 29 शहरों ने अभी तक अपनी कार्ययोजना जमा ही नहीं की है।

निर्वाना बीइंग के संस्थापक और पर्यावरणविद् जयधर गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, ‘‘यह बात स्वास्थ्य और जिंदगी की है, इसमें अगर आप लापरवाही करोगे तो बहुत खतरनाक साबित होगा। देश में जुगाड़ की जो हमारी आदत है, इसी के साथ आप लोगों के स्वास्थ्य के साथ खेल रहे हो। पूरे भारत को लगता है कि प्रदूषण केवल दिल्ली का विषय है और कहीं प्रदूषण नहीं है। उन्हें यह नहीं पता कि यह हर जगह है। प्रदूषण की कहानी दिल्ली से आगे तो कहीं गई ही नहीं है और डब्लूएचओ की जो सूची है उसमें शीर्ष 15 में से 14 शहर भारत के ही हैं और दिल्ली उसमें छठे नंबर पर है तो आप सोच सकते हैं कि उन शहरों के क्या हाल हैं जो दिल्ली से ऊपर हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एनजीटी को कार्ययोजना नहीं सौंपने वाले शहरों पर बिल्कुल जुर्माना लगाना चाहिए, यह अधिकरण इसलिए ही है कि न्यायापालिका की भी भूमिका है कि वह स्वास्थ्य और जिंदगी की रक्षा करे। और अगर वह जुर्माना नहीं लगाएंगे तो एक तरीके से यह प्रदूषण को नकारने वाली बात होगी। किसी को तो कडक़ होना पड़ेगा ना। जब सरकार और नेता हमारी जिंदगी की रक्षा नहीं कर रहे तो न्यायापालिका को यह करना पड़ेगा।’’

जयधर गुप्ता ने कहा, ‘‘सरकार इसलिए प्रदूषण पर कार्रवाई नहीं करती क्योंकि वह इसे वोटबैंक का मुद्दा नहीं समझती। वो कह रहे हैं कि एनजीटी करेगा और एनजीटी नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा।’’

वहीं गैर सरकारी संस्था ग्रीनपीस इंडिया के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया ने इस बारे में कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत को योजना बनाने से लेकर उसे लागू करने तक हर कदम पर हस्तक्षेप करके यह सुनिश्चित करना पड़ रहा है कि लोगों के हितों की रक्षा हो। क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह बिना कोर्ट के हस्तक्षेप के नीतियों को लागू करे? हम लोग देख रहे हैं कि सरकार लगातार पर्यावरण से जुड़े कानून कमजोर करके और प्रदूषण फैलाने वाले कंपनियों के हित में नीतियों में बदलाव कर रही है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आम लोगों और मीडिया के काफी दबाव के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने अप्रैल में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के ड्राफ्ट को लोगों की प्रतिक्रिया के लिये अपने बेवसाइट पर सार्वजनिक किया था। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बावजूद अभी तक कार्यक्रम को लागू नहीं किया जा सका है। वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर सवाल उठाने पर राज्य और केंद्र सरकार एक-दूसरे पर उंगली उठाने लगते हैं।’’

सुनील ने कहा, ‘‘यह निराशाजनक है कि पर्यावरण मंत्री आराम से अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दे रहे हैं और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को लागू करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उनके दावों के हिसाब से एनसीएपी को बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था। बहुत सारे खबरों के हिसाब से इसकी समय सीमा 5 जून और 15 अगस्त 2018 ही तय था।’’

एनजीटी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरणविद् जयधर गुप्ता ने कहा, ‘‘एनजीटी का काम ही है प्रदूषण पर निगरानी रखना और जो आबादी है उसकी सेहत और जिंदगी को बचाना। देखिए जो बच्चा हमारे यहां जन्म ले रहा है, वह सात सिगरेट दिल्ली में पी रहा है, चार सिगरेट मुंबई में पी रहा है तो ऐसे कैसे चलेगा।’’

जुर्माने लगने से इन शहरों पर प्रभाव पड़ेगा के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘देखिए गलत बर्ताव पर दंड का प्रावधान है और अच्छे बर्ताव को प्रोत्साहन देते हैं, तो एनजीटी का कडक़ होना, उन प दंड लगाना इसीलिए है कि गंदी आदतों को सजा में तब्दील करें और यही फार्मूला पूरी दुनिया में काम करता है, और यहां तो ज्यादा काम करेगा, क्योंकि हम लोग तो डंडे से जल्दी बात समझते हैं। तो यही एक तरीका है।’’

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement