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15 साल बाद जगती यात्रा के लिए निकले देवता, जगह-जगह हो रहा है स्वागत
कुल्लू। मंडी सराज के देवता लक्ष्मी नारायण 15 वर्षों के बाद जगती यात्रा के लिए निकले हैं। इस दौरान देवता का जगह-जगह पर भव्य स्वागत भी हो रहा है। अठारह करडू की सौह ढालपुर मैदान में पहुंचने पर देवता के दर्शन के लिए लोगों की खूब भीड़ उमड़ पड़ी। यहां पर देवता के स्वागत में दिलेराम व उषा ठाकुर ने देवता के स्वागत में प्रसाद का लंगर लगाया इसके बाद देवता रानी शांगरी के निवास स्थान में पहुंचे और यहां पर भव्य स्वागत के बाद रात्री विश्राम किया गया। सोमवार सायं देवता, माता भटँती, माता मंदिर नगर पहंचे और यहां पर भव्य मिलन के बाद देवता माता के साथ ही मंदिर में विराजमान रहे। मंगवार सुबह जवती पट्ट में देव कार्रवाई की और शक्तियां अर्जित कर देव यात्रा वापस सराज घाटी की ओर रवाना हुई है।
माना जाता है कि देवता लक्ष्मी नारायण से जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है। इसलिए श्रद्धालुओं की देवता के पास खूब भीड़ रहती है। देवता के पुरोहित गंगा धर शर्मा, सुनील शर्मा, कारदार गुलाब सिंह, पुजारी डीयू ठाकुर ने बताया कि देवता जगती पट्ट यात्रा पर 15 वर्ष बाद निकले हैं। यहां से देवता शक्ति ग्रहण कर बापस घाटी के लिए लौटेंगे। गौर रहे कि नगर स्थित जगती पट्ट विश्व की सबसे बड़ी देव संसद है। यहीं पर देव संसद का आयोजन समय-समय पर होता रहता है।
इसके अलावा कुल्लू व मंडी जिला के सभी देवी देवता समय-समय पर जगती पट्ट यात्रा पर जाते हैं और यहां से शक्ति ग्रहण करके बापस लौटते हैं। विश्व व क्षेत्र की खुशहाली व सुख समृद्धि के लिए भी देवी देवता जगती की यात्रा करते हैं। जगती पट्ट नग्गर में स्थित है और यह पट्ट एक विशाल पाषाण शिला है। देव इतिहास के मुताविक इस विशाल शिला को अठारह करडू देवी-देवताओं ने मधुमखियों का सूक्ष्म शरीर धारण करके इंद्र किला की पहाड़ी से उठाकर लाया था और नगर में स्थापित किया था। वहां स्थापित करने के बाद इसी शिला पर देव संसद का आयोजन किया था और विश्व की भलाई के लिए कई निर्णय लिए गए थे।
आज भी विश्व पर कोई संकट आने बाला हो तो सभी देवी देवता यहां एकत्र होकर जगती यानिकि देव संसद का आयोजन करते हैं। इसके अलावा समय-समय पर सभी देवी-देवता यहां की यात्रा करते हैं और छोटी जगती का आयोजन होता है। इसी कड़ी में सराज घाटी के लक्ष्मी नारायण भी जगती यात्रा पर हैं और जगह-जगह देवता का स्वागत हो रहा है। कारदार ने बताया कि यह 11 दिन की यात्रा है और देवता जब अपने मंदिर पहुंचेगा तो विशाल ब्रह्मभोज का आयोजन होगा।
माना जाता है कि देवता लक्ष्मी नारायण से जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है। इसलिए श्रद्धालुओं की देवता के पास खूब भीड़ रहती है। देवता के पुरोहित गंगा धर शर्मा, सुनील शर्मा, कारदार गुलाब सिंह, पुजारी डीयू ठाकुर ने बताया कि देवता जगती पट्ट यात्रा पर 15 वर्ष बाद निकले हैं। यहां से देवता शक्ति ग्रहण कर बापस घाटी के लिए लौटेंगे। गौर रहे कि नगर स्थित जगती पट्ट विश्व की सबसे बड़ी देव संसद है। यहीं पर देव संसद का आयोजन समय-समय पर होता रहता है।
इसके अलावा कुल्लू व मंडी जिला के सभी देवी देवता समय-समय पर जगती पट्ट यात्रा पर जाते हैं और यहां से शक्ति ग्रहण करके बापस लौटते हैं। विश्व व क्षेत्र की खुशहाली व सुख समृद्धि के लिए भी देवी देवता जगती की यात्रा करते हैं। जगती पट्ट नग्गर में स्थित है और यह पट्ट एक विशाल पाषाण शिला है। देव इतिहास के मुताविक इस विशाल शिला को अठारह करडू देवी-देवताओं ने मधुमखियों का सूक्ष्म शरीर धारण करके इंद्र किला की पहाड़ी से उठाकर लाया था और नगर में स्थापित किया था। वहां स्थापित करने के बाद इसी शिला पर देव संसद का आयोजन किया था और विश्व की भलाई के लिए कई निर्णय लिए गए थे।
आज भी विश्व पर कोई संकट आने बाला हो तो सभी देवी देवता यहां एकत्र होकर जगती यानिकि देव संसद का आयोजन करते हैं। इसके अलावा समय-समय पर सभी देवी-देवता यहां की यात्रा करते हैं और छोटी जगती का आयोजन होता है। इसी कड़ी में सराज घाटी के लक्ष्मी नारायण भी जगती यात्रा पर हैं और जगह-जगह देवता का स्वागत हो रहा है। कारदार ने बताया कि यह 11 दिन की यात्रा है और देवता जब अपने मंदिर पहुंचेगा तो विशाल ब्रह्मभोज का आयोजन होगा।
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