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जल संरक्षण के परंपरागत तरीकों के साथ ही नवाचार भी अपनाएं - डॉ महेश जोशी
जयपुर । जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा कि पानी का महत्व राजस्थान जैसे रेगिस्तानी प्रदेश में रहने वालों से बेहतर कौन समझ सकता है। प्रदेश में ज्यादातर जगहों पर भूजल एक हजार फीट से भी नीचे चला गया है, सतही पानी की उपलब्धता भी यहां अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है। ऐसे में, हमें पेयजल संरक्षण को अपनाना होगा और भूजल का दोहन रोकने के साथ ही भूजल स्तर बढ़ाने के प्रभावी उपाय करने होंगे तभी आने वाली पीढियों के लिए हम प्रकृति की इस बहुमूल्य देन को संरक्षित रख पाएंगे।
डॉ. महेश जोशी बुधवार को यहां दुर्गापुरा स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान के सभागार में अटल भूजल योजना पर आयोजित राज्य स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बदलती हुई जीवन शैली को देखते हुए प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पानी को बचाने के लिए परंपरागत तरीकों के साथ ही हमें आज नवाचार अपनाने की भी जरूरत है। पानी की बचत ही इसका उत्पादन है इसे ध्यान में रखते हुए हम सभी को रोजमर्रा के जीवन में पानी का सदुपयोग करना सीखना होगा। उपलब्ध पानी को अधिक से अधिक पेयजल के उपयोग के लिए कैसे बचा सकते हैं इसका भी ध्यान रखना होगा। बहुमंजिला इमारतों को पेयजल कनेक्शन की नीति एक सप्ताह में
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री ने कहा कि बहुमंजिला इमारतों एवं निजी टाउनशिप में पेयजल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए बन रही नीति अगले सप्ताह तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यह नीति बनने के बाद इन इमारतों में रहने वाले लोगों की पेयजल समस्या का समुचित समाधान निकल पाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रदेश में लोगों को पेयजल के लिए मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े। राज्य सरकार द्वारा गर्मी के मौसम में टैंकरों एवं रेल के माध्यम से पेयजल परिवहन कर पानी की विकट समस्या का सामना कर रहे क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुचारू रखी गई।
पानी के सीमित उपयोग को अपनी जीवन शैली का अंग बनाएं
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि जहां पेयजल की उपलब्धता प्रचूर मात्रा में होती है वहां लोग इसका महत्व नहीं समझ पाते लेकिन राजस्थान खासकर यहां के रेगिस्तानी इलाके के लोगों को एक-एक लीटर पानी की अहमियत पता है। विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को जल संरक्षण का संदेश दिया। वागड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध संत मावजी महाराज द्वारा अपने चौपड़ों में लिखी गई भविष्य की बातों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तीन सौ साल पहले उन्होंने नदी के जल का महत्व रेखांकित करते हुए लिखा था कि ये सिक्कों से खरीदा जाएगा और आज हम देख रहे हैं कि बोतलबंद पानी हर जगह बिक रहा है।
कार्यशाला में आए प्रतिभागियों से अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि वे संदेशवाहक बनकर आमजन को पानी का महत्व बताएं और पेयजल संरक्षण के लिए उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव लाएं। उन्होंने आमजन से पानी के सीमित उपयोग को अपनी जीवन शैली का अंग बनाने को कहा।
डॉ. महेश जोशी बुधवार को यहां दुर्गापुरा स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान के सभागार में अटल भूजल योजना पर आयोजित राज्य स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बदलती हुई जीवन शैली को देखते हुए प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पानी को बचाने के लिए परंपरागत तरीकों के साथ ही हमें आज नवाचार अपनाने की भी जरूरत है। पानी की बचत ही इसका उत्पादन है इसे ध्यान में रखते हुए हम सभी को रोजमर्रा के जीवन में पानी का सदुपयोग करना सीखना होगा। उपलब्ध पानी को अधिक से अधिक पेयजल के उपयोग के लिए कैसे बचा सकते हैं इसका भी ध्यान रखना होगा। बहुमंजिला इमारतों को पेयजल कनेक्शन की नीति एक सप्ताह में
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री ने कहा कि बहुमंजिला इमारतों एवं निजी टाउनशिप में पेयजल कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए बन रही नीति अगले सप्ताह तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यह नीति बनने के बाद इन इमारतों में रहने वाले लोगों की पेयजल समस्या का समुचित समाधान निकल पाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रदेश में लोगों को पेयजल के लिए मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े। राज्य सरकार द्वारा गर्मी के मौसम में टैंकरों एवं रेल के माध्यम से पेयजल परिवहन कर पानी की विकट समस्या का सामना कर रहे क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुचारू रखी गई।
पानी के सीमित उपयोग को अपनी जीवन शैली का अंग बनाएं
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि जहां पेयजल की उपलब्धता प्रचूर मात्रा में होती है वहां लोग इसका महत्व नहीं समझ पाते लेकिन राजस्थान खासकर यहां के रेगिस्तानी इलाके के लोगों को एक-एक लीटर पानी की अहमियत पता है। विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को जल संरक्षण का संदेश दिया। वागड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध संत मावजी महाराज द्वारा अपने चौपड़ों में लिखी गई भविष्य की बातों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तीन सौ साल पहले उन्होंने नदी के जल का महत्व रेखांकित करते हुए लिखा था कि ये सिक्कों से खरीदा जाएगा और आज हम देख रहे हैं कि बोतलबंद पानी हर जगह बिक रहा है।
कार्यशाला में आए प्रतिभागियों से अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि वे संदेशवाहक बनकर आमजन को पानी का महत्व बताएं और पेयजल संरक्षण के लिए उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव लाएं। उन्होंने आमजन से पानी के सीमित उपयोग को अपनी जीवन शैली का अंग बनाने को कहा।
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