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हिमाचली संस्कृति, मूल्यों एवं रहन-सहन को अपनाएं: भरमौरी
सोलन। वन एवं मत्स्य पालन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने प्रदेशवासियों का आह्वान किया है कि वे हिमाचली संस्कृति, मूल्यों, परम्पराओं एवं रहन-सहन के तरीकों को न केवल अपनाएं अपितु उनका संवर्द्धन भी सुनिश्चित बनाएं। ठाकुर सिंह भरमौरी सोलन जिले के कण्डाघाट उपमण्डल के सेरीघाट में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅ. कर्नल धनीराम शांडिल के साथ वन विश्राम गृह में अतिरिक्त भवन एवं सभागार की आधारशिला रखने के उपरान्त उपस्थित जन समूह को सम्बोधित कर रहे थे। इस निर्माण कार्य पर लगभग 77 लाख रुपये व्यय होंगे। भरमौरी ने कहा कि हमारे देश एवं प्रदेश में प्राचीन समय से रहन-सहन एवं खानपान के कुछ विशुद्ध नियम स्थापित किए गए हैं। आधुनिकता की चकाचैंध में हम न केवल इन नियमों को भूलते जा रहे हैं अपितु कुछ ऐसे तौर तरीकों को अपना रहे हैं जो सभी के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की भागदौड़ की जिन्दगी में हमें प्राचीन नियमों को अपनाने से अनेक लाभ होंगे। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि पिछली पीढ़ी द्वारा स्थापित परम्पराओं को पुनर्जीवित करें। इससे जहां समय और धन की बचत सुनिश्चित होगी वहीं ये परम्पराएं पर्यटकों को आकर्षित करने का साधन भी बनेगी।
वन मंत्री ने कहा कि वर्तमान में बेसहारा पशुओं एवं वानरों की समस्या से सभी को जुझना पड़ रहा है। इस दिशा में प्रदेश सरकार नियमित रूप से प्रयत्नशील है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि दुधारू पशुओं को यथोचित स्थान दें एवं उनकी देखभाल का पूरा प्रयास करें। वनों एवं गांवों के आसपास फल प्रजातियों के अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर वानरों को शहर की ओर आने से रोका जा सकता है। गत चार वर्षों में विभिन्न स्तरों पर वानरों से निपटने के प्रभावी पग उठाए गए हैं। प्रदेश में आठ स्थानों पर वानर नसबन्दी केन्द्र स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में एक लाख से अधिक वानरों की नसबन्दी की जा चुकी है। वर्ष 2017-18 के बजट में वन विभाग के लिए 530 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
वन मंत्री ने कहा कि वर्तमान में बेसहारा पशुओं एवं वानरों की समस्या से सभी को जुझना पड़ रहा है। इस दिशा में प्रदेश सरकार नियमित रूप से प्रयत्नशील है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि दुधारू पशुओं को यथोचित स्थान दें एवं उनकी देखभाल का पूरा प्रयास करें। वनों एवं गांवों के आसपास फल प्रजातियों के अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर वानरों को शहर की ओर आने से रोका जा सकता है। गत चार वर्षों में विभिन्न स्तरों पर वानरों से निपटने के प्रभावी पग उठाए गए हैं। प्रदेश में आठ स्थानों पर वानर नसबन्दी केन्द्र स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में एक लाख से अधिक वानरों की नसबन्दी की जा चुकी है। वर्ष 2017-18 के बजट में वन विभाग के लिए 530 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
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