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दो दिन में दें लू से बचाव की कार्य योजना
बदायूं। जिलाधिकारी अनिता श्रीवास्तव ने जन सामान्य तथा जानवरों को लू के प्रकोप से बचाव एवं राहत कार्य के लिए सम्बंधित एक दर्जन अधिकारियों को दो दिन के अन्दर अपने-अपने विभाग की कार्य योजना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
शनिवार को कलेक्ट्रेट स्थित सभाकक्ष में जिलाधिकारी ने डीआरडीए, स्वास्थ्य, कृषि, पशु चिकित्सा, परिवहन, वन, शिक्षा, पंचायत राज, श्रम प्रर्वतन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर लू के प्रकोप से बचाव एवं राहत कार्यां के लिए कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय सहित पीएचसी, सीएचसी केन्द्रों पर कूलर युक्त कक्ष, आवश्यक दवाएं, उपकरण एम्बुलेंस, चिकित्सक आदि हर समय उपलब्ध रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मई एवं जून के माह में लू लगने की अधिक संभावना रहती है। इसलिए श्रमिकों के कार्यस्थल पर आश्रय एवं पीने का पानी अवश्य उपलब्ध रहना चाहिए। पशुओं के पेयजल के लिए सूखे तालाबों में भी पानी उपलब्ध रहे। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व हवलदार यादव, एडीएम प्रशासन अजय कुमार श्रीवास्तव सहित अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद रहे।
सावधानी बरतें लू से बचें
लू के प्रकोप से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ छाछ, नीबू पानी, आम का पना प्रयोग करें। यात्रा के समय पानी साथ रखें। हलके रंग के सूती एवं ढीले कपड़े पहनें। सर को ढकें और कड़ी धूप से बचें। विशेष तौर पर बारह बजे से अपरान्ह तीन बजे के बीच सूर्य के ताप से बचना बेहतर होगा। जानवरों को छाया में बांधें और पर्याप्त पेयजल पिलाएं।
लू लगने की स्थित में क्या करें
लू लगने पर प्रभावित व्यक्ति को छाया में लेटाकर सूती गीले कपड़े से पोंछें एवं नहलाएं और तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करें। लू लगने पर कमज़ोरी महसूस होती है, सिर दर्द, उल्टी महसूस होना, तेज पसीना, झटके लगना, चक्कर आने लगते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।
शनिवार को कलेक्ट्रेट स्थित सभाकक्ष में जिलाधिकारी ने डीआरडीए, स्वास्थ्य, कृषि, पशु चिकित्सा, परिवहन, वन, शिक्षा, पंचायत राज, श्रम प्रर्वतन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर लू के प्रकोप से बचाव एवं राहत कार्यां के लिए कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय सहित पीएचसी, सीएचसी केन्द्रों पर कूलर युक्त कक्ष, आवश्यक दवाएं, उपकरण एम्बुलेंस, चिकित्सक आदि हर समय उपलब्ध रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मई एवं जून के माह में लू लगने की अधिक संभावना रहती है। इसलिए श्रमिकों के कार्यस्थल पर आश्रय एवं पीने का पानी अवश्य उपलब्ध रहना चाहिए। पशुओं के पेयजल के लिए सूखे तालाबों में भी पानी उपलब्ध रहे। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व हवलदार यादव, एडीएम प्रशासन अजय कुमार श्रीवास्तव सहित अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद रहे।
सावधानी बरतें लू से बचें
लू के प्रकोप से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ छाछ, नीबू पानी, आम का पना प्रयोग करें। यात्रा के समय पानी साथ रखें। हलके रंग के सूती एवं ढीले कपड़े पहनें। सर को ढकें और कड़ी धूप से बचें। विशेष तौर पर बारह बजे से अपरान्ह तीन बजे के बीच सूर्य के ताप से बचना बेहतर होगा। जानवरों को छाया में बांधें और पर्याप्त पेयजल पिलाएं।
लू लगने की स्थित में क्या करें
लू लगने पर प्रभावित व्यक्ति को छाया में लेटाकर सूती गीले कपड़े से पोंछें एवं नहलाएं और तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करें। लू लगने पर कमज़ोरी महसूस होती है, सिर दर्द, उल्टी महसूस होना, तेज पसीना, झटके लगना, चक्कर आने लगते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।
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बदायूं
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