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इसके बिना नहीं की जा सकती कोई मांगलिक कार्य होने की कल्पना
यह मिठाई दिखने में पैटीज जैसी होती है, जो खाने में कुरकुरा और स्वाद में
मीठी होती है। इसके लिए आटे, मैदा, चीनी तथा इलायची का प्रयोग किया जाता
है। सिलाव खाजा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन कार्यक्रमों
में अपनी पहचान बनाने में भी कामयाब रहा है।
व्यवसायी संजय लाल बताते हैं कि वर्ष 1987 में मॉरीशस में हुए अंतर्राष्ट्रीय मिठाई महोत्सव में सिलाव के खाजे को अंतर्राष्ट्रीय पुरास्कार मिल चुका है। इसके अलावा दिल्ली, पटना, जयपुर व इलाहाबाद में लगी प्रदर्शनियों में भी खाजा को स्वादिस्ट मिठाई का पुरस्कार मिल चुका है।
हर खाने वाला 52 परतों वाले यहां के खाजे का मुरीद हो जाता है। सिलाव औद्योगिक स्वावलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष अभय शुक्ला बताते हैं कि सिलाव में खाजा की करीब 75 दुकानें हैं। प्रति दुकान प्रतिदिन एक क्विंटल खाजे बनाए जाते हैं। यहां आने वाले पर्यटक अपने साथ खाजा ले जाना नहीं भूलते।
व्यवसायी संजय लाल बताते हैं कि वर्ष 1987 में मॉरीशस में हुए अंतर्राष्ट्रीय मिठाई महोत्सव में सिलाव के खाजे को अंतर्राष्ट्रीय पुरास्कार मिल चुका है। इसके अलावा दिल्ली, पटना, जयपुर व इलाहाबाद में लगी प्रदर्शनियों में भी खाजा को स्वादिस्ट मिठाई का पुरस्कार मिल चुका है।
हर खाने वाला 52 परतों वाले यहां के खाजे का मुरीद हो जाता है। सिलाव औद्योगिक स्वावलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष अभय शुक्ला बताते हैं कि सिलाव में खाजा की करीब 75 दुकानें हैं। प्रति दुकान प्रतिदिन एक क्विंटल खाजे बनाए जाते हैं। यहां आने वाले पर्यटक अपने साथ खाजा ले जाना नहीं भूलते।
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