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इसे अजूबा नहीं तो और क्या कहें! आप भी जानकर चौंक जाएंगे यह बात
लखनऊ। प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती है। राजधानी लखनऊ (Lucknow) के राष्ट्रम आदित्य श्रीकृष्ण (Rashtram Aditya) के साथ कुछ ऐसा ही है। अक्टूबर में वह अपनी उम्र के नौ साल पूरे करेगा, लेकिन ज्ञान के कारण उसे सीधे कक्षा नौ में प्रवेश मिलने जा रहा है। राष्ट्रम को कक्षा नौ में प्रवेश पाने में उसकी उम्र और पिछली कक्षाओं में पढ़ाई न किया होना बाधा बन रहा था। लेकिन यूपी बोर्ड के प्रस्ताव पर शासन ने हाईस्कूल की जगह कक्षा नौ में प्रवेश की अनुमति दे दी है।
अब वह राजधानी के नक्खास स्थित एमडी शुक्ला इंटर कॉलेज में कक्षा नौ में पढ़ाई करेगा। लखनऊ के एल्डिको उद्यान-टू रक्षाखंड रायबरेली रोड निवासी पवन कुमार आचार्य ने बताया कि उनका बेटा राष्ट्रम आदित्य श्रीकृष्ण बहुत मेधावी है। उसने प्राथमिक शिक्षा किसी विद्यालय में नहीं ली है, बल्कि उसकी घर पर ही ऐसी पढ़ाई कराई गई है कि वह सीधे हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल हो सकता है। पिता पवन आचार्य ने बताया, अभी उसका (राष्ट्रम) पढ़ाई पर ही फोकस है।
समय व्यर्थ न करने के चक्कर में पत्नी और मैंने मिलकर उसे पढ़ाया है। उसे हमने विषयवार शिक्षा दी है। उसे गणित और सामाजिक विषय का अच्छा ज्ञान है। उन्होंने बताया, उसे (राष्ट्रम) योग और ध्यान में काफी रुचि है। योग और ध्यान में महारथ हासिल है। इसके आलावा हिन्दी, अंग्रेजी, फ्रेंच का भी उसे कुछ ज्ञान है। वह कई ऐसे सवालों के जवाब पल में दे देता है, जो किसी आम इंसान के लिए मुश्किल है। पवन ने बताया कि बच्चों का ध्यान आमतौर पर खेलने-कूदने में होता है, लेकिन राष्ट्रम का ध्यान ज्ञान एकत्रित करने पर है।
हालांकि उन्होंने बच्चे के बारे में और ज्यादा जानकारी देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, अभी कक्षा नौ में प्रवेश और कोई उपलब्धि हासिल होने के बाद ही कुछ और आगे बताएंगे। जानकारियां हासिल करने की उसकी यह लालसा तब से है, जब वह छोटा था। उम्र बढऩे के साथ-साथ उसके ज्ञान का आकार भी बढ़ता चला गया है। पवन स्वयं ज्योतिषाचार्य हैं और पहले वे एमिटी कॉलेज में पढ़ाते रहे हैं। उनकी पत्नी गृहिणी हैं।
अब वह राजधानी के नक्खास स्थित एमडी शुक्ला इंटर कॉलेज में कक्षा नौ में पढ़ाई करेगा। लखनऊ के एल्डिको उद्यान-टू रक्षाखंड रायबरेली रोड निवासी पवन कुमार आचार्य ने बताया कि उनका बेटा राष्ट्रम आदित्य श्रीकृष्ण बहुत मेधावी है। उसने प्राथमिक शिक्षा किसी विद्यालय में नहीं ली है, बल्कि उसकी घर पर ही ऐसी पढ़ाई कराई गई है कि वह सीधे हाईस्कूल की परीक्षा में शामिल हो सकता है। पिता पवन आचार्य ने बताया, अभी उसका (राष्ट्रम) पढ़ाई पर ही फोकस है।
समय व्यर्थ न करने के चक्कर में पत्नी और मैंने मिलकर उसे पढ़ाया है। उसे हमने विषयवार शिक्षा दी है। उसे गणित और सामाजिक विषय का अच्छा ज्ञान है। उन्होंने बताया, उसे (राष्ट्रम) योग और ध्यान में काफी रुचि है। योग और ध्यान में महारथ हासिल है। इसके आलावा हिन्दी, अंग्रेजी, फ्रेंच का भी उसे कुछ ज्ञान है। वह कई ऐसे सवालों के जवाब पल में दे देता है, जो किसी आम इंसान के लिए मुश्किल है। पवन ने बताया कि बच्चों का ध्यान आमतौर पर खेलने-कूदने में होता है, लेकिन राष्ट्रम का ध्यान ज्ञान एकत्रित करने पर है।
हालांकि उन्होंने बच्चे के बारे में और ज्यादा जानकारी देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, अभी कक्षा नौ में प्रवेश और कोई उपलब्धि हासिल होने के बाद ही कुछ और आगे बताएंगे। जानकारियां हासिल करने की उसकी यह लालसा तब से है, जब वह छोटा था। उम्र बढऩे के साथ-साथ उसके ज्ञान का आकार भी बढ़ता चला गया है। पवन स्वयं ज्योतिषाचार्य हैं और पहले वे एमिटी कॉलेज में पढ़ाते रहे हैं। उनकी पत्नी गृहिणी हैं।
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