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गुरु नानक की 550वीं जयंती : पंजाब में 3200 करोड़ से ज्यादा की लागत वाले कार्य शुरू
गुरु नानक देव अपने समय के सबसे अधिक यात्रा करने वाले व्यक्तियों में से
थे और उन्होंने अपनी जिंदगी के 20 बरस यात्रा करके ही बिताए हैं। उनकी
यात्रा का सर्वप्रथम विवरण करने वाले भाई गुरुदास हैं। जनमसाखी भी उनकी
यात्रा से संबंधित जानकारी प्रदान करते हैं। गुरु नानक देव की यात्रा की
शुरुआत सुल्तानपुर लोधी से हुई थी, ऐसा उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति के
बाद ही हुआ था।
अपने पहले लंबे सफर में उन्होंने हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बांग्लादेश की यात्रा की। अपने दूसरे चरण में उन्होंने दक्षिण में श्रीलंका तक की यात्रा की व तत्पश्चात उन्होंने हिमालय क्षेत्र के आंतरिक भागों का दौरा किया जिनमें कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, पश्चिमी तिब्बत, लद्दाख, कश्मीर और पश्चिम पंजाब (पाकिस्तान) है।
यहां से लौटने के बाद उन्होंने पंजाब के तलवंडी में कुछ वक्त बिताया और इसके बाद पश्चिमी एशिया के देशों का दौरा करने का फैसला लिया। एक मुस्लिम भक्त के अनुरूप पोशाक धारण किए हुए उन्होंने सिंध, बलूचिस्तान, अरब, इराक, ईरान और अफगानिस्तान की यात्रा की। अपने पश्चिमी दौरे के पूरे होने के बाद गुरु नानक देव अंतत: करतारपुर साहिब (अब पाकिस्तान में) बस गए।
(IANS)
अपने पहले लंबे सफर में उन्होंने हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बांग्लादेश की यात्रा की। अपने दूसरे चरण में उन्होंने दक्षिण में श्रीलंका तक की यात्रा की व तत्पश्चात उन्होंने हिमालय क्षेत्र के आंतरिक भागों का दौरा किया जिनमें कांगड़ा घाटी, कुल्लू घाटी, पश्चिमी तिब्बत, लद्दाख, कश्मीर और पश्चिम पंजाब (पाकिस्तान) है।
यहां से लौटने के बाद उन्होंने पंजाब के तलवंडी में कुछ वक्त बिताया और इसके बाद पश्चिमी एशिया के देशों का दौरा करने का फैसला लिया। एक मुस्लिम भक्त के अनुरूप पोशाक धारण किए हुए उन्होंने सिंध, बलूचिस्तान, अरब, इराक, ईरान और अफगानिस्तान की यात्रा की। अपने पश्चिमी दौरे के पूरे होने के बाद गुरु नानक देव अंतत: करतारपुर साहिब (अब पाकिस्तान में) बस गए।
(IANS)
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