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कुशीनगर: भूख और बीमारी से 5 मौतें, चूहे खाकर गुजारा!
अनाज को देखते रह गए लोग...
सोनवा देवी के दो बेटों की मौत के बाद प्रशासन की ओर से उन्हें खाना पहुंचाया गया। कुशीनगर के जंगल खिरकिया गांव की मुसहर बस्ती में ईंट से बने मकान में जब प्रशासन ने अनाज पहुंचाया तो उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। कुछ आपस में कानाफूसी करते रहे कि सोनवा देवी कितनी किस्मतवाली हैं। यह समुदाय हमेशा भूख से त्रस्त रहा है। डुल्मा पट्टी के वीरेंद्र बताते हैं कि वे लोग खाने लायक किसी भी चीज को खाकर गुजारा करते हैं। उन्होंने अपने परिवार को खाना दिलाने के लिए कुछ दिन पहले अपनी हाथगाड़ी बेच दी।
उसके बाद से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले वीरेंद्र को काम मिलना मुश्किल हो गया है। उनकी पत्नी संगीता का नाम 2017 में मनरेगा में रजिस्टर किया गया था, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिला। वीरेंद्र बताते हैं कि उनके घर पर भी अधिकरी उनके परिवार की मौत के बाद अनाज दे गए लेकिन वह हमेशा के लिए तो चलेगा नहीं। कुछ साल पहले उनके 10 साल के बेटे की मौत भी ऐसे ही हो गई थी। उन्होंने कहा कि खाने के पैकेट्स और पैसों से मौत को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।
सीएम ने किए थे दावे...
सरकारी रेकॉर्ड्स का कहना है कि संगीता और उनके बच्चों की मौत डायरिया से हुई। अधिकारियों का कहना है कि इन मौतों का भूख से कोई लेना-देना नहीं है। कुशीनगर के चीफ मेडिकल ऑफिसर हरिचरण सिंह के मुताबिक सोनवा देवी के बेटों की मौत टीबी की वजह से हुई। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घटना के कुछ दिन बाद कहा था कि यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि उनका टीबी का इलाज हुआ था या नहीं। सरकार ने मुसहरों को नौकरियां, राशन कार्ड और घर दिए हैं। इस परिवार के पास भी राशन कार्ड था।
सोनवा देवी के दो बेटों की मौत के बाद प्रशासन की ओर से उन्हें खाना पहुंचाया गया। कुशीनगर के जंगल खिरकिया गांव की मुसहर बस्ती में ईंट से बने मकान में जब प्रशासन ने अनाज पहुंचाया तो उसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। कुछ आपस में कानाफूसी करते रहे कि सोनवा देवी कितनी किस्मतवाली हैं। यह समुदाय हमेशा भूख से त्रस्त रहा है। डुल्मा पट्टी के वीरेंद्र बताते हैं कि वे लोग खाने लायक किसी भी चीज को खाकर गुजारा करते हैं। उन्होंने अपने परिवार को खाना दिलाने के लिए कुछ दिन पहले अपनी हाथगाड़ी बेच दी।
उसके बाद से दिहाड़ी मजदूरी करने वाले वीरेंद्र को काम मिलना मुश्किल हो गया है। उनकी पत्नी संगीता का नाम 2017 में मनरेगा में रजिस्टर किया गया था, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिला। वीरेंद्र बताते हैं कि उनके घर पर भी अधिकरी उनके परिवार की मौत के बाद अनाज दे गए लेकिन वह हमेशा के लिए तो चलेगा नहीं। कुछ साल पहले उनके 10 साल के बेटे की मौत भी ऐसे ही हो गई थी। उन्होंने कहा कि खाने के पैकेट्स और पैसों से मौत को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।
सीएम ने किए थे दावे...
सरकारी रेकॉर्ड्स का कहना है कि संगीता और उनके बच्चों की मौत डायरिया से हुई। अधिकारियों का कहना है कि इन मौतों का भूख से कोई लेना-देना नहीं है। कुशीनगर के चीफ मेडिकल ऑफिसर हरिचरण सिंह के मुताबिक सोनवा देवी के बेटों की मौत टीबी की वजह से हुई। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घटना के कुछ दिन बाद कहा था कि यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि उनका टीबी का इलाज हुआ था या नहीं। सरकार ने मुसहरों को नौकरियां, राशन कार्ड और घर दिए हैं। इस परिवार के पास भी राशन कार्ड था।
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