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ICMAI के खाते में पाई गई 5 करोड़ रुपए की अनियमितता : CAG
रिकॉर्ड की जांच से खुलासा हुआ कि एनआईआरसी के तत्कालीन चेयरमैन ने रीजनल
काउंसिल की मंजूरी लिए बगैर पांच करोड़ रुपये का हस्तांतरण कर दिया। यही
नहीं, जांच के दौरान यह भी पता चला कि इतनी बड़ी रकम की मंजूरी रीजनल
काउंसिल दे ही नहीं सकती थी, बल्कि इसकी मंजूरी सेंट्रल काउंसिल ही दे सकती
है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि लेखापरीक्षा के लिए प्रस्तुत
रिकॉर्ड में सेंट्रल काउंसिल की मंजूरी संबंधी कोई रिकॉर्ड संलग्न नहीं था।
रिपोर्ट में इसे गंभीर मसला बताते हुए संस्थान को इसकी जांच करवाने को कहा गया है। इस रिपोर्ट के साथ आर्थिक एवं सेवा मंत्रालय के अधीन आने वाले प्रधान निदेशक लेखापरीक्षा के कार्यालय ने इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के नॉदर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन को नौ मई, 2019 को एक पत्र भेजकर एक माह के भीतर इसका जबाव मांगा है। साथ ही इसकी जानकारी मंत्रालय को देने को कहा है।
संस्थान के एक सूत्र ने बताया कि नियमानुसार, सबसे पहले संस्थान के लिए जमीन या भवन की खरीद निजी व्यक्ति से नहीं की जानी चाहिए, बल्कि इसके लिए नोएडा विकास प्राधिकरण से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, इस खरीद में न सिर्फ निजी भवन स्वामी से खरीद का सौदा किया गया, बल्कि इसमें एक रियल स्टेट ब्रोकर को भी शामिल किया गया, जिसका जिक्र कैग की रिपोर्ट में किया गया है।
सूत्र ने यह भी बताया कि 2013-14 में खरीदे गए भवन का इस्तेमाल अब तक संस्थान के लिए नहीं किया गया है, क्योंकि भवन में और निर्माण कार्य करवाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जिस उद्देश्य से यह भवन खरीदा गया था, वह अब तक पूरा नहीं हो सका है। रिपोर्ट के अनुसार, आईसीडब्ल्यूएआई के एनआईआरसी के लिए लोधी रोड स्थित वर्तमान कार्यालय के अपर्याप्त पाए जाने के चलते दिल्ली-एनसीआर में नए परिसर की तलाश की जा रही थी, जिसमें रेडी टू मूव परिसर के रूप में नोएडा सेक्टर 62 स्थित भवन की पहचान की गई।
(IANS)
रिपोर्ट में इसे गंभीर मसला बताते हुए संस्थान को इसकी जांच करवाने को कहा गया है। इस रिपोर्ट के साथ आर्थिक एवं सेवा मंत्रालय के अधीन आने वाले प्रधान निदेशक लेखापरीक्षा के कार्यालय ने इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के नॉदर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन को नौ मई, 2019 को एक पत्र भेजकर एक माह के भीतर इसका जबाव मांगा है। साथ ही इसकी जानकारी मंत्रालय को देने को कहा है।
संस्थान के एक सूत्र ने बताया कि नियमानुसार, सबसे पहले संस्थान के लिए जमीन या भवन की खरीद निजी व्यक्ति से नहीं की जानी चाहिए, बल्कि इसके लिए नोएडा विकास प्राधिकरण से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, इस खरीद में न सिर्फ निजी भवन स्वामी से खरीद का सौदा किया गया, बल्कि इसमें एक रियल स्टेट ब्रोकर को भी शामिल किया गया, जिसका जिक्र कैग की रिपोर्ट में किया गया है।
सूत्र ने यह भी बताया कि 2013-14 में खरीदे गए भवन का इस्तेमाल अब तक संस्थान के लिए नहीं किया गया है, क्योंकि भवन में और निर्माण कार्य करवाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जिस उद्देश्य से यह भवन खरीदा गया था, वह अब तक पूरा नहीं हो सका है। रिपोर्ट के अनुसार, आईसीडब्ल्यूएआई के एनआईआरसी के लिए लोधी रोड स्थित वर्तमान कार्यालय के अपर्याप्त पाए जाने के चलते दिल्ली-एनसीआर में नए परिसर की तलाश की जा रही थी, जिसमें रेडी टू मूव परिसर के रूप में नोएडा सेक्टर 62 स्थित भवन की पहचान की गई।
(IANS)
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