Advertisement
ICMAI के खाते में पाई गई 5 करोड़ रुपए की अनियमितता : CAG

नई दिल्ली। भवन खरीद के एक मामले में देश के शीर्ष लेखा संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएमएआई) के खाते में पांच करोड़ रुपए के भुगतान में अनियमितता पाई गई है। यह अनियमितता कैग की एक मसौदा रिपोर्ट में उजागर हुई है। आईएएनएस के उपलब्ध कैग की मसौदा रिपोर्ट के अनुसार, आईसीएमएआई के नॉदर्न इंडिया रीजनल काउंसिल (एनआईआरसी) द्वारा नोएडा में एक निजी भवन की खरीद के लिए काउंसिल की मंजूरी लिए बगैर पांच करोड़ रुपए जमीन के मालिक को भुगतान कर दिया गया।
कैग की रिपोर्ट में उजागर हुई गड़बड़ी की बात इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अमित आनंद आप्टे ने भी स्वीकारी, लेकिन उन्होंने कहा कि यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है। आप्टे ने मंगलवार को आईएएनएस को फोन पर बताया कि कैग की रिपोर्ट में भुगतान में अनियमितता को लेकर सवाल किया गया है, मगर यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है। उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्होंने इस संबंध में कोई आंतरिक जांच करवाई है तो उन्होंने कहा, जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, हां कुछ और दस्तावेज देने की जरूरत होगी।
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया 1944 में स्थापित संसद में पारित कानून के तहत एक वैधानिक निकाय है। पहले इसका नाम इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वकर्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीडब्ल्यूएआई) था। रिपोर्ट के अनुसार, संस्थान ने भवन की खरीद के लिए वर्ष 2013-14 के बजट में 15 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, लेकिन नोएडा के सेक्टर-62 में संस्थान के लिए खरीदे गए भवन की कीमत के रूप में तय बजट से पांच करोड़ रुपए ज्यादा का भुगतान कर दिया गया, जबकि इसकी मंजूरी काउंसिल से नहीं ली गई।
संस्थान के एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि इस सौदे के वक्त आईसीएमएआई के नादर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन बिजेंदर शर्मा थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि संस्थान के तत्कालीन सचिव सीएमए कौशिक बनर्जी ने व्यक्तिगत तौर पर काउंसिल की मंजूरी लिए बगैर एक पत्र आईसीडब्ल्यूएआई के नादर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के तत्कालीन चेयरमैन को लिखा।
पत्र में उन्होंने कहा, हम नोएडा में चयनित संपत्ति का अधिग्रहण करने के अंतिम चरण में हैं। उन्होंने चेयरमैन से संस्थान के खाते में पांच करोड़ रुपये शीघ्र हस्तांतरित करने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर इंडियन ओवरसीज बैंक स्थित संस्थान के खाते में 29.06.2013 की तिथि को चेक संख्या 196668 के जरिए पांच करोड़ रुपए हस्तांतरित किए गए।
कैग की रिपोर्ट में उजागर हुई गड़बड़ी की बात इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अमित आनंद आप्टे ने भी स्वीकारी, लेकिन उन्होंने कहा कि यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है। आप्टे ने मंगलवार को आईएएनएस को फोन पर बताया कि कैग की रिपोर्ट में भुगतान में अनियमितता को लेकर सवाल किया गया है, मगर यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है। उनसे जब पूछा गया कि क्या उन्होंने इस संबंध में कोई आंतरिक जांच करवाई है तो उन्होंने कहा, जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, हां कुछ और दस्तावेज देने की जरूरत होगी।
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया 1944 में स्थापित संसद में पारित कानून के तहत एक वैधानिक निकाय है। पहले इसका नाम इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड वकर्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीडब्ल्यूएआई) था। रिपोर्ट के अनुसार, संस्थान ने भवन की खरीद के लिए वर्ष 2013-14 के बजट में 15 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था, लेकिन नोएडा के सेक्टर-62 में संस्थान के लिए खरीदे गए भवन की कीमत के रूप में तय बजट से पांच करोड़ रुपए ज्यादा का भुगतान कर दिया गया, जबकि इसकी मंजूरी काउंसिल से नहीं ली गई।
संस्थान के एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि इस सौदे के वक्त आईसीएमएआई के नादर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन बिजेंदर शर्मा थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि संस्थान के तत्कालीन सचिव सीएमए कौशिक बनर्जी ने व्यक्तिगत तौर पर काउंसिल की मंजूरी लिए बगैर एक पत्र आईसीडब्ल्यूएआई के नादर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के तत्कालीन चेयरमैन को लिखा।
पत्र में उन्होंने कहा, हम नोएडा में चयनित संपत्ति का अधिग्रहण करने के अंतिम चरण में हैं। उन्होंने चेयरमैन से संस्थान के खाते में पांच करोड़ रुपये शीघ्र हस्तांतरित करने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर इंडियन ओवरसीज बैंक स्थित संस्थान के खाते में 29.06.2013 की तिथि को चेक संख्या 196668 के जरिए पांच करोड़ रुपए हस्तांतरित किए गए।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
प्रमुख खबरें
Advertisement
Traffic
Features
