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44 वर्ष बाद मगनाराम से बन सका लिखमाराम
जयपुर/नागौर। नागौर जिले की ग्राम पंचायत सरगोठ के अटल सेवा केन्द्र में आयोजित न्याय आपके द्वार 2017 शिविर में 44 वर्षों से लगातार खतौनी में चल रहे गलत नाम मगनाराम पुत्र देवाराम को दुरुस्त कर वास्तविक नाम लिखमाराम अंकित कर राहत प्रदान की गई।
शिविर प्रभारी रामसुख गुर्जर उपखंड अधिकारी कुचामन सिटी ने लोगों को संयुक्त खातों की भूमि का आपसी सहमति से बंटवारा, रिकार्ड दुरुस्ती एवं राजस्व न्यायालय में लंबित वाद के निपटारे के लिए समझाइश की गई तथा राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। इससे पे्ररित होकर ग्राम सरगोठ के लिखमाराम पुत्र देवाराम जाति कुमावत ने धारा 88 के तहत नाम दुरुस्त करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
शिविर प्रभारी ने प्रार्थना पत्र की जांच तहसीलदार कुचामन सिटी को दी। जांच में सामने आया कि लिखमाराम ने कई बार प्रार्थना पत्र दिया, परंतु उसे कहीं भी न्याय नहीं मिला।
प्रार्थी के पिता का स्वर्गवास 44 वर्ष पूर्व हो गया था। जब विरासत में भवराराम, मगनाराम, लच्छाराम, हुक्माराम पिता देवाराम दर्ज हुआ। तब से लगातार मगनाराम पुत्र देवाराम राजस्व खतौनी में नाम चला आ रहा है। जांच करने पर पाया कि मगनाराम व लिखमाराम एक ही व्यक्ति है।
तहसीलदार कुचामनसिटी ने पटवारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक से जांच करवाकर उपखंड अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र में स्पष्ट इंगित किया कि मगनाराम का वास्तविक नाम लिखमाराम है, जिसको शिविर प्रभारी ने रिकॉर्ड में मगनाराम के स्थान पर वास्तविक नाम लिखमाराम दुरुस्त करवाकर नकल दिलवाई। नकल मिलते ही लिखमाराम तथा उसके परिवार में हर्ष छा गया। उसने राज्य सरकार, शिविर प्रभारी एवं उपस्थित सभी अधिकारी, कर्मचारियों को इसके लिए धन्यवाद दिया।
शिविर प्रभारी रामसुख गुर्जर उपखंड अधिकारी कुचामन सिटी ने लोगों को संयुक्त खातों की भूमि का आपसी सहमति से बंटवारा, रिकार्ड दुरुस्ती एवं राजस्व न्यायालय में लंबित वाद के निपटारे के लिए समझाइश की गई तथा राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। इससे पे्ररित होकर ग्राम सरगोठ के लिखमाराम पुत्र देवाराम जाति कुमावत ने धारा 88 के तहत नाम दुरुस्त करने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
शिविर प्रभारी ने प्रार्थना पत्र की जांच तहसीलदार कुचामन सिटी को दी। जांच में सामने आया कि लिखमाराम ने कई बार प्रार्थना पत्र दिया, परंतु उसे कहीं भी न्याय नहीं मिला।
प्रार्थी के पिता का स्वर्गवास 44 वर्ष पूर्व हो गया था। जब विरासत में भवराराम, मगनाराम, लच्छाराम, हुक्माराम पिता देवाराम दर्ज हुआ। तब से लगातार मगनाराम पुत्र देवाराम राजस्व खतौनी में नाम चला आ रहा है। जांच करने पर पाया कि मगनाराम व लिखमाराम एक ही व्यक्ति है।
तहसीलदार कुचामनसिटी ने पटवारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक से जांच करवाकर उपखंड अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र में स्पष्ट इंगित किया कि मगनाराम का वास्तविक नाम लिखमाराम है, जिसको शिविर प्रभारी ने रिकॉर्ड में मगनाराम के स्थान पर वास्तविक नाम लिखमाराम दुरुस्त करवाकर नकल दिलवाई। नकल मिलते ही लिखमाराम तथा उसके परिवार में हर्ष छा गया। उसने राज्य सरकार, शिविर प्रभारी एवं उपस्थित सभी अधिकारी, कर्मचारियों को इसके लिए धन्यवाद दिया।
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