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3 कश्मीरी छात्रों से संबंधित केस की जांच एनआईए को सौंपी
चंडीगढ़ । मामले की अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय जटिलता को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार और पंजाब सरकार ने अनसर गजवत -उल -हिंद (एजीएच.) से सम्बन्धित 3 कश्मीरी छात्रों के गिरफ़्तारी केस को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का फ़ैसला किया है।
गौरतलब है कि यह तीनों ही विद्यार्थी बीते महीने पंजाब पुलिस और जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के स्पैशल ऑप्रेशनज़ ग्रुप द्वारा चलाए एक सांझे ऑप्रेशन के दौरान गिरफ़्तार किये गए थे। इन विद्यार्थियों को जालंधर के बाहर शाहपुर में स्थित सी.टी. इंस्टीट्यूट ऑफ इंजनियरिंग मैनेजमेंट एंड प्रौद्यौगिकी के होस्टल से गिरफ़्तार किया गया था और इनके पास से दो हथियार जिनमें एक असाल्ट राइफल भी शामिल थी, समेत गोला बारूद भी बरामद किया गया था।
पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने बताया कि इस केस को एन.आई.ए. को सौंपने का फ़ैसला पंजाब सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के मध्य हुई इस मुद्दे संबंधी बातचीत के बाद में लिया गया।
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि यह विद्यार्थी जिनकी पहचान ज़ाहिद गुलज़ार, मुहम्मद इदरिस शाह और यूसुफ रफ़ीख भट्ट के तौर पर हुई है, अनसर गजवत - उल - हिंद के साथ जुड़े हुए थे जो कि कश्मीर का एक आतंकवादी संगठन है और जिसके तार जैश-ए -मुहम्मद के साथ भी जुड़ते हैं। इस संगठन का सरगना जाकिर रशीद भट्ट उर्फ जाकिर मूसा है।
इस केस को एन.आई.ए. को सौंपने का फ़ैसला करने के समय दोनों सरकारों ने इस तथ्य पर भी गौर किया है कि इन गिरफ़्तारियों के बाद 2 अन्य कश्मीरी विद्यार्थियों को पंजाब पुलिस द्वारा 14 सितम्बर को मकसूदां पुलिस थाने में हुए हैड गरनेड धमाकों के मामले में गिरफ़्तार किया गया था। इनके 2 साथी फऱार बताए जाते हैं।
डी.जी.पी. ने आगे कहा कि यह सब पाकिस्तान की एजेंसी आई.एस.आई. द्वारा भारत की पश्चिमी सरहद पर आतंकवाद का दायरा फैलाने की कोशिश है और ज़रूरत है कि इस साजिश का समूचा पर्दाफाश किया जाये और इसके साथ ही पंजाब और जम्मू-कश्मीर में इन व्यक्तियों /संगठनों द्वारा स्थापित किये नैटवर्क को बेनकाब किया जाये।
अरोड़ा ने आगे कहा कि यह जांच एन.आई.ए. को सौंपने का मुख्य मकसद यह है कि इस मामले में तेज़ी के साथ और प्रभावशाली जांच को यकीनी बनाया जाये। सूबा सरकार का भी यही ख़्याल है कि आई.एस.आई. और विदेशों में रह रहे आतंकवादी तत्वों /संगठनों द्वारा पंजाब में आतंकवाद को फिर उभारने की लगातार कोशिशों के मद्देनजऱ यह ज़रूरी हो जाता है कि राष्ट्रीय एजेंसी द्वारा सख्त कदम उठाए जाएँ क्योंकि राष्ट्रीय एजेंसी को देश और विदेशों दोनों बीच की आतंकवादी कार्यवाहियों की जांच-पड़ताल करने का हक हासिल है।
उन्होंने यह भी कहा कि जांच पूरी करनी यकीनी बनाने के लिए और भारत और विदेशों के बीच वाले आतंकवादी संगठनों /तत्वों के नापाक गठजोड़ को तोडऩे के लिए पंजाब पुलिस की तरफ से एन.आई.ए. को हर ज़रूरी मदद दी जायेगी।
डी.जी.पी. ने आगे बताया कि जहां कि राज्य की पुलिस द्वारा राज्य बीच वाले पुलिस थानों और पुलिस अफसरों को निशाना बनाने की किसी भी संभावी घटना की आगामी रोकथाम के लिए कश्मीरी विद्यार्थियों की गतिविधियों पर कड़ी नजऱ रखी जा रही है, वहीं यह भी ज़रूरी समझा गया है कि यह भी यकीनी बनाया जाये कि राज्य की अमन -शान्ति और सांप्रदायिक सदभावना को इन आतंकवादियों और देश विरोधी तत्वों से बचाने के लिए सब ज़रूरी कदम उठाए जाएँ।
गौरतलब है कि यह तीनों ही विद्यार्थी बीते महीने पंजाब पुलिस और जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के स्पैशल ऑप्रेशनज़ ग्रुप द्वारा चलाए एक सांझे ऑप्रेशन के दौरान गिरफ़्तार किये गए थे। इन विद्यार्थियों को जालंधर के बाहर शाहपुर में स्थित सी.टी. इंस्टीट्यूट ऑफ इंजनियरिंग मैनेजमेंट एंड प्रौद्यौगिकी के होस्टल से गिरफ़्तार किया गया था और इनके पास से दो हथियार जिनमें एक असाल्ट राइफल भी शामिल थी, समेत गोला बारूद भी बरामद किया गया था।
पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने बताया कि इस केस को एन.आई.ए. को सौंपने का फ़ैसला पंजाब सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के मध्य हुई इस मुद्दे संबंधी बातचीत के बाद में लिया गया।
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि यह विद्यार्थी जिनकी पहचान ज़ाहिद गुलज़ार, मुहम्मद इदरिस शाह और यूसुफ रफ़ीख भट्ट के तौर पर हुई है, अनसर गजवत - उल - हिंद के साथ जुड़े हुए थे जो कि कश्मीर का एक आतंकवादी संगठन है और जिसके तार जैश-ए -मुहम्मद के साथ भी जुड़ते हैं। इस संगठन का सरगना जाकिर रशीद भट्ट उर्फ जाकिर मूसा है।
इस केस को एन.आई.ए. को सौंपने का फ़ैसला करने के समय दोनों सरकारों ने इस तथ्य पर भी गौर किया है कि इन गिरफ़्तारियों के बाद 2 अन्य कश्मीरी विद्यार्थियों को पंजाब पुलिस द्वारा 14 सितम्बर को मकसूदां पुलिस थाने में हुए हैड गरनेड धमाकों के मामले में गिरफ़्तार किया गया था। इनके 2 साथी फऱार बताए जाते हैं।
डी.जी.पी. ने आगे कहा कि यह सब पाकिस्तान की एजेंसी आई.एस.आई. द्वारा भारत की पश्चिमी सरहद पर आतंकवाद का दायरा फैलाने की कोशिश है और ज़रूरत है कि इस साजिश का समूचा पर्दाफाश किया जाये और इसके साथ ही पंजाब और जम्मू-कश्मीर में इन व्यक्तियों /संगठनों द्वारा स्थापित किये नैटवर्क को बेनकाब किया जाये।
अरोड़ा ने आगे कहा कि यह जांच एन.आई.ए. को सौंपने का मुख्य मकसद यह है कि इस मामले में तेज़ी के साथ और प्रभावशाली जांच को यकीनी बनाया जाये। सूबा सरकार का भी यही ख़्याल है कि आई.एस.आई. और विदेशों में रह रहे आतंकवादी तत्वों /संगठनों द्वारा पंजाब में आतंकवाद को फिर उभारने की लगातार कोशिशों के मद्देनजऱ यह ज़रूरी हो जाता है कि राष्ट्रीय एजेंसी द्वारा सख्त कदम उठाए जाएँ क्योंकि राष्ट्रीय एजेंसी को देश और विदेशों दोनों बीच की आतंकवादी कार्यवाहियों की जांच-पड़ताल करने का हक हासिल है।
उन्होंने यह भी कहा कि जांच पूरी करनी यकीनी बनाने के लिए और भारत और विदेशों के बीच वाले आतंकवादी संगठनों /तत्वों के नापाक गठजोड़ को तोडऩे के लिए पंजाब पुलिस की तरफ से एन.आई.ए. को हर ज़रूरी मदद दी जायेगी।
डी.जी.पी. ने आगे बताया कि जहां कि राज्य की पुलिस द्वारा राज्य बीच वाले पुलिस थानों और पुलिस अफसरों को निशाना बनाने की किसी भी संभावी घटना की आगामी रोकथाम के लिए कश्मीरी विद्यार्थियों की गतिविधियों पर कड़ी नजऱ रखी जा रही है, वहीं यह भी ज़रूरी समझा गया है कि यह भी यकीनी बनाया जाये कि राज्य की अमन -शान्ति और सांप्रदायिक सदभावना को इन आतंकवादियों और देश विरोधी तत्वों से बचाने के लिए सब ज़रूरी कदम उठाए जाएँ।
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