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104 वर्ष के लोक गायक कलाकार मस्तराम का पालमपुर में निधन
पालमपुर (कांगड़ा)। हिमाचल प्रदेश के वयोवृद्घ 104 वर्षीय लोक गायक कलाकार मस्त राम का रविवार को पालमपुर में निधन हो गया। साई,आलमपुर निवासी मस्त राम जिला कांगड़ा और हमीरपुर के मशहूर लोक गायक और अपने समय के बेहतरीन कलाकार रहे हैं। मस्त राम के निधन से सूबे ने एक महान लोक गायक खो दिया है जिन्होंने कई लोक कलाकारों को प्रेरणा दी।
जब मनोरंजन का कोई भी साधन नहीं होता था तो लोग मीलों दूर से इनकी रासलीला देखने के लिए पैदल चलते हुए जाते थे।
मस्तराम के परिवार में 90 सदस्य हैं। इनमें 6 पुत्र और 5 लड़कियां शामिल हैं। उनके 4 पुत्र ऊंचे पदों से सेवानिवृत्त हैं जबकि 2 बेटे सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। मस्त राम ने कई पहाड़ी गाने स्वयं लिखकर स्वरबद्घ किए।
उन्होंने ठंडी-ठंडी हवा झुलदी झुलदे चीलां दे डालू, जीना कांगड़े दा गाना गाकर प्रसिद्घि पाई। इसके अलावा कांगड़े दिया लोका शहर ज्वाला माई जंगल हो और 12 माही गाना जो 12 महीनों के ऊपर उन्होंने लिखा था, पूरी दुनिया में मशहूर हुआ। सुन कांगड़े दिया लोका बलिया शहर ज्वाला माई जंगल हो उचियां पहाड़ा वर्मा लगेगा जोता जगदिया मंदिर हो नामक गाना भी उनकी ही प्रस्तुति थी।
जब मनोरंजन का कोई भी साधन नहीं होता था तो लोग मीलों दूर से इनकी रासलीला देखने के लिए पैदल चलते हुए जाते थे।
मस्तराम के परिवार में 90 सदस्य हैं। इनमें 6 पुत्र और 5 लड़कियां शामिल हैं। उनके 4 पुत्र ऊंचे पदों से सेवानिवृत्त हैं जबकि 2 बेटे सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। मस्त राम ने कई पहाड़ी गाने स्वयं लिखकर स्वरबद्घ किए।
उन्होंने ठंडी-ठंडी हवा झुलदी झुलदे चीलां दे डालू, जीना कांगड़े दा गाना गाकर प्रसिद्घि पाई। इसके अलावा कांगड़े दिया लोका शहर ज्वाला माई जंगल हो और 12 माही गाना जो 12 महीनों के ऊपर उन्होंने लिखा था, पूरी दुनिया में मशहूर हुआ। सुन कांगड़े दिया लोका बलिया शहर ज्वाला माई जंगल हो उचियां पहाड़ा वर्मा लगेगा जोता जगदिया मंदिर हो नामक गाना भी उनकी ही प्रस्तुति थी।
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