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उम्दा अभिनेता साबित करते हैं सरदार उधम में विक्की, धीमी गति से बोर होता है दर्शक
निर्देशन में है कसावट
फिल्म निर्देशक शूजित सरकार ने पूरी फिल्म पर कथानक के अनुरूप अपनी पकड़ बनाए रखी है। फिल्म का छोटे-से-छोटा किरदार भी अपनी छाप छोडऩे में सफल रहा है। सरदार उधम के रूप में विक्की कौशल ने प्रभावशाली अभिनय किया है। उनकी संवाद अदायगी उनके किरदार को और निखारती है। उन्होंने अपने किरदार के लिए हर तौर पर मेहनत की है। फिर चाहे वह बर्फ पर कई किमी तक पैदल चलने का दृश्य हो या फिर भगतसिंह की बातों पर हंसते हुए जवाब देने का दृश्य हो। सभी में उन्होंने कमाल किया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक सधा हुआ है। संगीत फिल्म को आगे बढ़ाने का काम करता है। शूजीत ने किरदारों के अनुरूप कलाकारों का चयन किया है। माहौल को 1925 से लेकर 1944 तक दर्शाने के लिए कला निर्देशक (आर्ट डायरेक्टर) प्रदीप जाधव और किरदारों के कॉस्ट्यूम के लिए कॉस्ट्यूम डायरेक्टर का काम प्रशंसनीय है।
अखरती है धीमी गति
फिल्म का सबसे कमजोर पहलू इसकी गति है। शूजित सरकार ने फिल्म को सधे हुए हाथों से लेकिन बहुत धीमी गति से फिल्माया है। इसके चलते कई दृश्य लम्बे प्रतीत होते हैं।
फिल्म निर्देशक शूजित सरकार ने पूरी फिल्म पर कथानक के अनुरूप अपनी पकड़ बनाए रखी है। फिल्म का छोटे-से-छोटा किरदार भी अपनी छाप छोडऩे में सफल रहा है। सरदार उधम के रूप में विक्की कौशल ने प्रभावशाली अभिनय किया है। उनकी संवाद अदायगी उनके किरदार को और निखारती है। उन्होंने अपने किरदार के लिए हर तौर पर मेहनत की है। फिर चाहे वह बर्फ पर कई किमी तक पैदल चलने का दृश्य हो या फिर भगतसिंह की बातों पर हंसते हुए जवाब देने का दृश्य हो। सभी में उन्होंने कमाल किया है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक सधा हुआ है। संगीत फिल्म को आगे बढ़ाने का काम करता है। शूजीत ने किरदारों के अनुरूप कलाकारों का चयन किया है। माहौल को 1925 से लेकर 1944 तक दर्शाने के लिए कला निर्देशक (आर्ट डायरेक्टर) प्रदीप जाधव और किरदारों के कॉस्ट्यूम के लिए कॉस्ट्यूम डायरेक्टर का काम प्रशंसनीय है।
अखरती है धीमी गति
फिल्म का सबसे कमजोर पहलू इसकी गति है। शूजित सरकार ने फिल्म को सधे हुए हाथों से लेकिन बहुत धीमी गति से फिल्माया है। इसके चलते कई दृश्य लम्बे प्रतीत होते हैं।
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