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रिव्यू : नवाजुद्दीन का बेहतरीन अभिनय, ‘ठाकरे’ का मजा करती है दोगुना
कहानी... फिल्म की शुरुआत बाल ठाकरे एक अखबार में कार्टून आर्टिस्ट
की नौकरी करते हैं। राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ कार्टून बनाने की वजह से
उनके बॉस उन पर गुस्सा करते हैं। यह बात बाल ठाकरे को जरा भी पसंद नहीं आती
और वह अपनी नौकरी छोड़ देते हैं।
इसके बाद दिखाया जाता है कि बाल ठाकरे महाराष्ट्र में मराठी लोगों के साथ हो रहे व्यवहार की वजह से दुखी है। उन्हें यह बात बहुत परेशान करती है कि मराठी बहुल के राज्य में उनके साथ गलत बर्ताव किया जाता है। फिर वह खुद की एक साप्ताहिक पत्रिका (अखबार) शुरू करते हैं और उसके बाद मराठी लोगों के हक की आवाज उठाने के लिए शिवसेना का निर्माण करते हैं।
अखबार के जरिए बाला साहेब ने मराठी लोगों के लिए लड़ाई करने का बिगुल फूंका और फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे शिव सेना संगठन से एक पार्टी बनी। ठाकरे के रोल में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को देखना जबरदस्त है। वहीं अमृता राव ने ठाकरे की पत्नी का किरदार निभाया है।
इसके बाद दिखाया जाता है कि बाल ठाकरे महाराष्ट्र में मराठी लोगों के साथ हो रहे व्यवहार की वजह से दुखी है। उन्हें यह बात बहुत परेशान करती है कि मराठी बहुल के राज्य में उनके साथ गलत बर्ताव किया जाता है। फिर वह खुद की एक साप्ताहिक पत्रिका (अखबार) शुरू करते हैं और उसके बाद मराठी लोगों के हक की आवाज उठाने के लिए शिवसेना का निर्माण करते हैं।
अखबार के जरिए बाला साहेब ने मराठी लोगों के लिए लड़ाई करने का बिगुल फूंका और फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे शिव सेना संगठन से एक पार्टी बनी। ठाकरे के रोल में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को देखना जबरदस्त है। वहीं अमृता राव ने ठाकरे की पत्नी का किरदार निभाया है।
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