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विषय के साथ न्याय नहीं कर पाती रश्मि रॉकेट, तापसी का सधा हुआ अभिनय

निर्माता—रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक—आकर्ष खुराना
कलाकार—तापसी पन्नू, प्रियांशु पेन्युली, सुप्रिया पिलगांवकर, अभिषेक बनर्जी और सुप्रिया पाठक
कोविड-19 में तापसी पन्नू एक मात्र ऐसी अभिनेत्री रही हैं जिनकी फिल्मों का लगातार ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शन होता रहा है। दर्शकों ने तापसी की फिल्मों को ओटीटी प्लेटफार्म पर अच्छी सफलता दिलाई है। तीन पूर्व उनकी एक और फिल्म ‘रश्मि रॉकेट’ का ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शन हुआ। फिल्म का कथानक कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित है। मूल रूप से फिल्म एथलेटिक्स में होने वाले जेंडर टेस्ट पर आधारित है। इस टेस्ट को विश्व के कई देशों ने बंद कर दिया है लेकिन भारत में अभी भी यह जारी है। हालांकि इसे बंद करने के लिए स्वर उठने लगे हैं।
खेलों में बदनाम प्रथा है जेंडर टेस्ट। इसका महिलाएं शिकार होती हैं। जिसका जेंडर टेस्ट होता है उसके बारे में इतनी घटिया बातें होती हैं जो महिला के लिए असम्मानजनक होती हैं। कई देशों ने इस घटिया टेस्ट को बंद कर दिया है, लेकिन एथलेटिक्स में अभी भी यह जारी है। भारत में भी इस पर रोक नहीं है, हालांकि इसके विरोध में आवाज उठ रही है। जिस तरह से यह टेस्ट किया जाता है और जिस तरह के चश्मे से समाज में इसे देखा जाता है वो किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। फिल्म में व्यापक रूप से इस बताया गया है कि जेंडर टेस्ट क्या और क्यों होता है। इस टेस्ट के प्रति समाज का नजरिया क्या है, किस तरह से इसे लेकर राजनीति होती है और इसके चलते न जाने कितनी महिला खिलाडिय़ों का करियर बर्बाद हो जाता है।
निर्देशक—आकर्ष खुराना
कलाकार—तापसी पन्नू, प्रियांशु पेन्युली, सुप्रिया पिलगांवकर, अभिषेक बनर्जी और सुप्रिया पाठक
कोविड-19 में तापसी पन्नू एक मात्र ऐसी अभिनेत्री रही हैं जिनकी फिल्मों का लगातार ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शन होता रहा है। दर्शकों ने तापसी की फिल्मों को ओटीटी प्लेटफार्म पर अच्छी सफलता दिलाई है। तीन पूर्व उनकी एक और फिल्म ‘रश्मि रॉकेट’ का ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रदर्शन हुआ। फिल्म का कथानक कुछ सच्ची घटनाओं पर आधारित है। मूल रूप से फिल्म एथलेटिक्स में होने वाले जेंडर टेस्ट पर आधारित है। इस टेस्ट को विश्व के कई देशों ने बंद कर दिया है लेकिन भारत में अभी भी यह जारी है। हालांकि इसे बंद करने के लिए स्वर उठने लगे हैं।
खेलों में बदनाम प्रथा है जेंडर टेस्ट। इसका महिलाएं शिकार होती हैं। जिसका जेंडर टेस्ट होता है उसके बारे में इतनी घटिया बातें होती हैं जो महिला के लिए असम्मानजनक होती हैं। कई देशों ने इस घटिया टेस्ट को बंद कर दिया है, लेकिन एथलेटिक्स में अभी भी यह जारी है। भारत में भी इस पर रोक नहीं है, हालांकि इसके विरोध में आवाज उठ रही है। जिस तरह से यह टेस्ट किया जाता है और जिस तरह के चश्मे से समाज में इसे देखा जाता है वो किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। फिल्म में व्यापक रूप से इस बताया गया है कि जेंडर टेस्ट क्या और क्यों होता है। इस टेस्ट के प्रति समाज का नजरिया क्या है, किस तरह से इसे लेकर राजनीति होती है और इसके चलते न जाने कितनी महिला खिलाडिय़ों का करियर बर्बाद हो जाता है।
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