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प्राकृतिक सौंदर्य का खूबसूरत नजारा पेश करती है जीरो वैली, खिंचे चले आते हैं पर्यटक

—राजेश कुमार भगताणी
जीरो भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में एक शहर और निचले सुबनसिरी जिले का जिला मुख्यालय है। इसे अपतानी सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है। शहर का वह हिस्सा जो आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है और जहां प्रशासनिक कार्यालय स्थित हैं उसे हापोली कहा जाता है या स्थानीय रूप से अपतानियों द्वारा हाओ-पोल्यांग के रूप में जाना जाता है। जीरो ईटानगर से 115 किमी, लीलाबारी में निकटतम नागरिक हवाई अड्डे से 123 किमी, नाहरलागुन रेलवे स्टेशन से 96 किमी दूर है।
अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबंसरी जिले में समुद्रतल से 5600 फीट की ऊंचाई पर स्थित जीरो घाटी दुनिया के कुछ उन मुट्ठी भर ठिकानों में से है, जहां आज भी प्रकृति और परंपराओं की जुगलबंदी कायम है। यहां हरे-भरे बांस के जंगल, नीले और हरे रंग के देवदार के पेड़ों और पहाड़ों के बीच धान से घिरी जीरो वैली बहुत ही शांत, खूबसूरत और नेचर के करीब है। अरूणाचल प्रदेश की इस जगह को साल 2012 में वल्र्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल किया गया था। यह घाटी जितनी अपने समृद्ध वन्यजीव के लिए जानी जाती है, उतनी ही लोकप्रिय यहां के निवासियों- अपतानी जनजाति के लिए भी। घाटी में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां आसपास के इलाकों में अपतानी जनजाति के लोग रहते हैं। ये तिब्बत कल्चर को फॉलो करते हैं और साल में 3 खास उत्सव म्योको, मुरूंग और ड्री मनाते हैं।
जीरो भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में एक शहर और निचले सुबनसिरी जिले का जिला मुख्यालय है। इसे अपतानी सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है। शहर का वह हिस्सा जो आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है और जहां प्रशासनिक कार्यालय स्थित हैं उसे हापोली कहा जाता है या स्थानीय रूप से अपतानियों द्वारा हाओ-पोल्यांग के रूप में जाना जाता है। जीरो ईटानगर से 115 किमी, लीलाबारी में निकटतम नागरिक हवाई अड्डे से 123 किमी, नाहरलागुन रेलवे स्टेशन से 96 किमी दूर है।
अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबंसरी जिले में समुद्रतल से 5600 फीट की ऊंचाई पर स्थित जीरो घाटी दुनिया के कुछ उन मुट्ठी भर ठिकानों में से है, जहां आज भी प्रकृति और परंपराओं की जुगलबंदी कायम है। यहां हरे-भरे बांस के जंगल, नीले और हरे रंग के देवदार के पेड़ों और पहाड़ों के बीच धान से घिरी जीरो वैली बहुत ही शांत, खूबसूरत और नेचर के करीब है। अरूणाचल प्रदेश की इस जगह को साल 2012 में वल्र्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल किया गया था। यह घाटी जितनी अपने समृद्ध वन्यजीव के लिए जानी जाती है, उतनी ही लोकप्रिय यहां के निवासियों- अपतानी जनजाति के लिए भी। घाटी में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां आसपास के इलाकों में अपतानी जनजाति के लोग रहते हैं। ये तिब्बत कल्चर को फॉलो करते हैं और साल में 3 खास उत्सव म्योको, मुरूंग और ड्री मनाते हैं।
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