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कर्मचारियों की छुट्टी को लेकर सामने आया ये रोचक खुलासा, पढ़ें...
लंदन। यदि आप भी अपने कार्यस्थल पर कुछ कर्मचारियों के अक्सर छुट्टियां
लेने से परेशान हो गए हैं तो ऐसे में टीम की संरचना पर गौर फरमाए।
एक बेहद ही रोचक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है कि जिस टीम में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कम होती हैं या नौजवानों की टीम में बुजुर्ग रहते हैं तो वे अपने अन्य सहकर्मियों की अपेक्षा सप्ताह में लगभग दो बार छुट्टियां जरूर लेते हैं। योग्य, कुशल, बुद्धिमान होने के बावजूद वे ऐसा करते हैं।
जर्मनी के कॉन्स्टैंज विश्वविद्यालय के प्रध्यापक फ्लोरियन कुन्ज और मैक्स रेनवल्ड ने कार्यस्थल पर उन कर्मचारियों के व्यवहार का पता लगाया जो कि अपनी टीम में अल्पसंख्यक हैं।
इन दो शोधकर्ताओं ने मिलकर सात साल के दौरान एक बड़ी स्विस-बेस्ड कंपनी में 800 से अधिक टीमों का अवलोकन किया। उन्होंने नए टीम मेंम्बर्स की आयु और वे स्त्री हैं या पुरुष, इस पर अपने ध्यान को केंद्रित किया।
उन्होंने पाया कि पहले किसी टीम का कोई नया सदस्य जितना अधिक असमान होगा, वह भेदभाव वाली स्थितियों को अपने लिए ज्यादा महसूस करेगा या करेगी।
इस तरह की परिस्थितियां आने वाले समय में सब्जेक्ट के टीमवर्क की अवधारणा को आकार देती हैं।
प्रध्यापक फ्लोरियन कुन्ज ने कहा, ‘‘कार्यक्षेत्र में महिलाएं या वृद्ध कर्मचारियों को लेकर हमारे मन में पहले से ही कुछ धारणाएं बनी हुई हैं। हम निष्कर्ष के रूप में यह कह सकते हैं कि जहां पुरुषों का वर्चस्व ज्यादा होता है वहां महिलाएं और युवाओं की टीम में वृद्ध, भेदभाव का अनुभव ज्यादा करते हैं और भेदभाव का यह एहसास वक्त के साथ-साथ बढ़ता जाता है।’’
शोध के लिए 2,711 लोगों पर अध्ययन किया गया और सबकुछ गुमनाम तरीके से किया गया।
फ्लोरियन कुन्ज और मैक्स रेनवल्ड ने सुझाव दिया, ‘‘संख्या में कम होने की वजह से जो कर्मचारी सहज महसूस नहीं करते, उन्हें ज्यादा ध्यान और समर्थन की जरूरत होती है और इन जरूरतों के प्रति टीम लीडर्स को संवेदनशील और हमेशा तैयार रहना चाहिए।’’
(आईएएनएस)
एक बेहद ही रोचक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है कि जिस टीम में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कम होती हैं या नौजवानों की टीम में बुजुर्ग रहते हैं तो वे अपने अन्य सहकर्मियों की अपेक्षा सप्ताह में लगभग दो बार छुट्टियां जरूर लेते हैं। योग्य, कुशल, बुद्धिमान होने के बावजूद वे ऐसा करते हैं।
जर्मनी के कॉन्स्टैंज विश्वविद्यालय के प्रध्यापक फ्लोरियन कुन्ज और मैक्स रेनवल्ड ने कार्यस्थल पर उन कर्मचारियों के व्यवहार का पता लगाया जो कि अपनी टीम में अल्पसंख्यक हैं।
इन दो शोधकर्ताओं ने मिलकर सात साल के दौरान एक बड़ी स्विस-बेस्ड कंपनी में 800 से अधिक टीमों का अवलोकन किया। उन्होंने नए टीम मेंम्बर्स की आयु और वे स्त्री हैं या पुरुष, इस पर अपने ध्यान को केंद्रित किया।
उन्होंने पाया कि पहले किसी टीम का कोई नया सदस्य जितना अधिक असमान होगा, वह भेदभाव वाली स्थितियों को अपने लिए ज्यादा महसूस करेगा या करेगी।
इस तरह की परिस्थितियां आने वाले समय में सब्जेक्ट के टीमवर्क की अवधारणा को आकार देती हैं।
प्रध्यापक फ्लोरियन कुन्ज ने कहा, ‘‘कार्यक्षेत्र में महिलाएं या वृद्ध कर्मचारियों को लेकर हमारे मन में पहले से ही कुछ धारणाएं बनी हुई हैं। हम निष्कर्ष के रूप में यह कह सकते हैं कि जहां पुरुषों का वर्चस्व ज्यादा होता है वहां महिलाएं और युवाओं की टीम में वृद्ध, भेदभाव का अनुभव ज्यादा करते हैं और भेदभाव का यह एहसास वक्त के साथ-साथ बढ़ता जाता है।’’
शोध के लिए 2,711 लोगों पर अध्ययन किया गया और सबकुछ गुमनाम तरीके से किया गया।
फ्लोरियन कुन्ज और मैक्स रेनवल्ड ने सुझाव दिया, ‘‘संख्या में कम होने की वजह से जो कर्मचारी सहज महसूस नहीं करते, उन्हें ज्यादा ध्यान और समर्थन की जरूरत होती है और इन जरूरतों के प्रति टीम लीडर्स को संवेदनशील और हमेशा तैयार रहना चाहिए।’’
(आईएएनएस)
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