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Unlock 1.0 :फिटनेस फ्रीक हुए लोग, साइकिल मार्केट में मांग बढ़ी
नई दिल्ली| अनलॉक-1 में लोगों को
जैसे-जैसे राहत मिल रही है, उसी क्रम में लोग अब अपनी फिटनेस को लेकर भी
काफी जागरूक नजर आ रहे हैं। लॉकडाउन में जिम, पार्क वगैरह बंद होने की वजह
से लोगों का व्यायाम नहीं हो पाया। अपने फिटनेस को मेंटेन रखने के लिए
लोगों ने अब साइकिल खरीदनी शुरू कर दी है।
झंडेवालान साइकिल मार्केट दिल्ली की सबसे पुरानी मार्केट है जो 1978 में
शुरू हुई थी। यहां आर.के. अग्रवाल का साइकिल का व्यापार 1940 से ही चल रहा
है। अपना पुश्तैनी कारोबार कर रहे अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, "झंडेवालान
मार्केट में 17-18 मई से ऑड-ईवन नियम पर दुकानें चालू हो गई थीं। 1 जून से
सभी दुकानें खुलने लगीं, जिसके बाद से मार्केट में साइकिल की मांग बढ़ने
लगी है।"
उन्होंने कहा, "लॉकडाउन में लोग घर पर थे, जिस वजह से लोगों का वर्कआउट बहुत मुश्किल से हो पाया, जिम और पार्क भी बंद थे। लोग अपनी फिटनेस को लेकर अब जागरूक हो रहे हैं, यही वजह है कि साइकिल की बिक्री शुरू हो गई है।"
झंडेवालान साइकिल एंड टॉय मार्केट एसोसिएशन के सचिव विपिन ने आईएएनएस को बताया कि मार्केट में 25 फीसदी मांग बढ़ गई है। बच्चे और कॉलेज स्टूडेंट से ज्यादा बड़े उम्र के लोग साइकिल खरीदने आ रहे हैं, क्योंकि उनके पास वर्कआउट करने का कोई और उपाय नहीं बचा है। एक साइकिल की दुकान से बिक्री लॉकडाउन से पहले रोजाना करीब 50 हजार की थी, लेकिन अब करीब 70 हजार की हो गई है।"
दुकानदारों ने बताया कि इस मार्केट में ज्यादातर बड़ी साइकिल बिक रही है, जिसमें गेयर वाली साइकिल भी शामिल है। इस मार्केट में 2500 रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक की साइकिल मिलती हैं। साइकिल के व्यापार में मार्जिन कम होता है, यानी अगर कोई साइकिल 10 हजार की है तो उस साइकिल पर 5 फीसदी ही मुनाफा दुकानदार को मिल पाता है। इस वजह से इस मार्केट में साइकिल का काम धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
इस मार्केट में पहले 132 दुकानों में साइकिल का व्यापार होता था, लेकिन आज की तारीख में सिर्फ 30 दुकानों में साइकिल के साथ-साथ स्पेयर पार्ट और जिम के सामान की बिक्री होती है।
दुकानदारों का कहना है कि साइकिल के व्यापार में मार्जिन कम होता है और आमने-सामने दूसरी दुकानें होने की वजह से कई बार ग्राहक को 100 -200 रुपये के मुनाफे पर ही साइकिल बेचनी पड़ती है। इस वजह से कई बार नुकसान होता है। इस मार्केट में जो लोग पहले साइकिल का व्यापार करते थे, उन्होंने अब साइकिल का व्यापार छोड़कर अपनी दुकानों को किराये पर देना शुरू कर दिया है।
दिल्ली निवासी सम्पूरन बुई इस मार्केट में साइकिल खरीदने आए। उन्होंने बताया, "लॉकडाउन में कुछ काम नहीं था और घर बैठे-बैठे सेहत खराब हो रही है, जिम बंद पड़े हैं, वर्कआउट नहीं हो पा रहा है। इसलिए साइकिल खरीद रहा हूं।"
इस मार्केट में एक ग्रुप ऐसा भी आया जिसके सदस्य मोटरसाइकिल चलाने के शौकीन हैं। एक सदस्य ने बताया, "घर बैठने की वजह से शरीर में आलसपन आ गया है। हम मोटरसाइकिल चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन में नहीं चला पाए। अब हम साइकिल खरीद रहे हैं, ताकि वर्जिश हो सके और शरीर तंदुरुस्त रहे। साइकिल का एक फायदा यह भी है कि इसमें पेट्रोल की जरूरत नहीं पड़ती। पैसा बचता है, कहीं जाने-आने का काम साइकिल से हो जाता है रहती और फिटनेस भी बरकरार रहती है।"
इस साइकिल मार्केट में ज्यादातर साइकिल लुधियाना से आती हैं, क्योंकि वह इंडियन साइकिल का हब है। हीरो, टाटा, हरक्यूलिस ब्रांड की साइकिलें यहां मुंबई से मंगाई जाती हैं।
--आईएएनएस
उन्होंने कहा, "लॉकडाउन में लोग घर पर थे, जिस वजह से लोगों का वर्कआउट बहुत मुश्किल से हो पाया, जिम और पार्क भी बंद थे। लोग अपनी फिटनेस को लेकर अब जागरूक हो रहे हैं, यही वजह है कि साइकिल की बिक्री शुरू हो गई है।"
झंडेवालान साइकिल एंड टॉय मार्केट एसोसिएशन के सचिव विपिन ने आईएएनएस को बताया कि मार्केट में 25 फीसदी मांग बढ़ गई है। बच्चे और कॉलेज स्टूडेंट से ज्यादा बड़े उम्र के लोग साइकिल खरीदने आ रहे हैं, क्योंकि उनके पास वर्कआउट करने का कोई और उपाय नहीं बचा है। एक साइकिल की दुकान से बिक्री लॉकडाउन से पहले रोजाना करीब 50 हजार की थी, लेकिन अब करीब 70 हजार की हो गई है।"
दुकानदारों ने बताया कि इस मार्केट में ज्यादातर बड़ी साइकिल बिक रही है, जिसमें गेयर वाली साइकिल भी शामिल है। इस मार्केट में 2500 रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक की साइकिल मिलती हैं। साइकिल के व्यापार में मार्जिन कम होता है, यानी अगर कोई साइकिल 10 हजार की है तो उस साइकिल पर 5 फीसदी ही मुनाफा दुकानदार को मिल पाता है। इस वजह से इस मार्केट में साइकिल का काम धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
इस मार्केट में पहले 132 दुकानों में साइकिल का व्यापार होता था, लेकिन आज की तारीख में सिर्फ 30 दुकानों में साइकिल के साथ-साथ स्पेयर पार्ट और जिम के सामान की बिक्री होती है।
दुकानदारों का कहना है कि साइकिल के व्यापार में मार्जिन कम होता है और आमने-सामने दूसरी दुकानें होने की वजह से कई बार ग्राहक को 100 -200 रुपये के मुनाफे पर ही साइकिल बेचनी पड़ती है। इस वजह से कई बार नुकसान होता है। इस मार्केट में जो लोग पहले साइकिल का व्यापार करते थे, उन्होंने अब साइकिल का व्यापार छोड़कर अपनी दुकानों को किराये पर देना शुरू कर दिया है।
दिल्ली निवासी सम्पूरन बुई इस मार्केट में साइकिल खरीदने आए। उन्होंने बताया, "लॉकडाउन में कुछ काम नहीं था और घर बैठे-बैठे सेहत खराब हो रही है, जिम बंद पड़े हैं, वर्कआउट नहीं हो पा रहा है। इसलिए साइकिल खरीद रहा हूं।"
इस मार्केट में एक ग्रुप ऐसा भी आया जिसके सदस्य मोटरसाइकिल चलाने के शौकीन हैं। एक सदस्य ने बताया, "घर बैठने की वजह से शरीर में आलसपन आ गया है। हम मोटरसाइकिल चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन में नहीं चला पाए। अब हम साइकिल खरीद रहे हैं, ताकि वर्जिश हो सके और शरीर तंदुरुस्त रहे। साइकिल का एक फायदा यह भी है कि इसमें पेट्रोल की जरूरत नहीं पड़ती। पैसा बचता है, कहीं जाने-आने का काम साइकिल से हो जाता है रहती और फिटनेस भी बरकरार रहती है।"
इस साइकिल मार्केट में ज्यादातर साइकिल लुधियाना से आती हैं, क्योंकि वह इंडियन साइकिल का हब है। हीरो, टाटा, हरक्यूलिस ब्रांड की साइकिलें यहां मुंबई से मंगाई जाती हैं।
--आईएएनएस
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