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सोते समय बिस्तर गीला करने वाले बच्चों को मिलेगा पूर्ण इलाज
जयपुर। देश में स्कूल जाने की उम्र वाले 12 से 16 प्रतिशत बच्चे सोते समय बिस्तर गीला करने की समस्या से जूझ रहे हैं। यह समस्या न सिर्फ उनके व्यक्तित्व को प्रभावित करती है बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी कमजोर कर रही है। अब इस समस्या के पूर्ण उपचार के लिए राजस्थान में पहला क्लीनिक इटरनल हॉस्पिटल में खुल गया है।
इस क्लिनिक का उद्घाटन गुरुवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी व इटरनल हॉस्पिटल के चेयमैन डॉ. समीन शर्मा ने फीता काट कर किया। कार्यक्रम में हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा भी मौजूद थीं। अस्पताल में पीडियाट्रिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसडी शर्मा ने इस अवसर पर मौजूद लोगों को बच्चों में बिस्तर गीला करने की समस्या और उसके उपचार के बारे में जानकारी दी।
बिस्तर गीला करने की दो तरह की समस्या...
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसडी शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि बेड वेटिंग प्राइमरी और सेकेंड्री, दो तरह की होती है। प्राइमरी बेड वेटिंग में बच्चा 5 साल की उम्र के बाद भी लगातार बिस्तर गीला करना जारी रखता है। वहीं सेकेंड्री बेड वेटिंग में बच्चा 3 से 5 साल के बीच तो अपनी आदत सुधार लेता है लेकिन इसके बाद उसे फिर से यह समस्या शुरू हो जाती है। ऐसा बच्चे को यूरीन इंफेक्शन, पेशाब में रुकावट या पथरी, जन्मजात किडनी, यूरेटर या ब्लैडर के विकार के कारण हो सकता है।
समस्या के कारणों का होगा जड़ से इलाज...
इटरनल हॉस्पिटल में शुरू हुए बेड वेटिंग क्लीनिक मे बच्चों की इस समस्या का जड़ से इलाज होगा। सामान्य इलाज मे बच्चे को सोने से पहले एक गोली का तीन महीने तक का कोर्स दिया जाएगा। अगर तब भी समस्या का ठीक नहीं होती तो यह कोर्स चार से छह महीने तक बढ़ाया भी जा सकता है। वहीं सेकेंड्री बेड वेटिंग से ग्रसित बच्चे के मूत्राश्य से जुड़ी संरचनात्मक विकार के बारे में पता लगाकर उसे ठीक किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा सर्जिकल ट्रीटमेंट की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। वहीं बच्चे को इलाज के दौरान बेड वेटिंग ट्रेनिंग भी दी जाएगी जिसमें बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत किया जाएगा और उसके खोए आत्मविश्वास को लौटाया जाएगा।
इस क्लिनिक का उद्घाटन गुरुवार को एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी व इटरनल हॉस्पिटल के चेयमैन डॉ. समीन शर्मा ने फीता काट कर किया। कार्यक्रम में हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा भी मौजूद थीं। अस्पताल में पीडियाट्रिक्स विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसडी शर्मा ने इस अवसर पर मौजूद लोगों को बच्चों में बिस्तर गीला करने की समस्या और उसके उपचार के बारे में जानकारी दी।
बिस्तर गीला करने की दो तरह की समस्या...
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसडी शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि बेड वेटिंग प्राइमरी और सेकेंड्री, दो तरह की होती है। प्राइमरी बेड वेटिंग में बच्चा 5 साल की उम्र के बाद भी लगातार बिस्तर गीला करना जारी रखता है। वहीं सेकेंड्री बेड वेटिंग में बच्चा 3 से 5 साल के बीच तो अपनी आदत सुधार लेता है लेकिन इसके बाद उसे फिर से यह समस्या शुरू हो जाती है। ऐसा बच्चे को यूरीन इंफेक्शन, पेशाब में रुकावट या पथरी, जन्मजात किडनी, यूरेटर या ब्लैडर के विकार के कारण हो सकता है।
समस्या के कारणों का होगा जड़ से इलाज...
इटरनल हॉस्पिटल में शुरू हुए बेड वेटिंग क्लीनिक मे बच्चों की इस समस्या का जड़ से इलाज होगा। सामान्य इलाज मे बच्चे को सोने से पहले एक गोली का तीन महीने तक का कोर्स दिया जाएगा। अगर तब भी समस्या का ठीक नहीं होती तो यह कोर्स चार से छह महीने तक बढ़ाया भी जा सकता है। वहीं सेकेंड्री बेड वेटिंग से ग्रसित बच्चे के मूत्राश्य से जुड़ी संरचनात्मक विकार के बारे में पता लगाकर उसे ठीक किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों द्वारा सर्जिकल ट्रीटमेंट की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। वहीं बच्चे को इलाज के दौरान बेड वेटिंग ट्रेनिंग भी दी जाएगी जिसमें बच्चे को मानसिक रूप से मजबूत किया जाएगा और उसके खोए आत्मविश्वास को लौटाया जाएगा।
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