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प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति- बिना दवाओं के रोगों का निदान - डॉ ध्रुव सनाढ़य
जयपुर । पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि कुशवाहा के निजी सहायक डॉ ध्रुव सनाढ़य ने बताया के वर्तमान समय मे चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक उन्नति हुई है परंतु आज के दौर में इंसान की दिनचर्या व खान पान में इतना परिवर्तन आ चुका है कि वो अनजाने ही कई शारेरिक व मानसिक बीमारियों को घर बैठे न्यौता दे रहा है हमारे पूर्वजों ने सिर्फ सात्विक खान पान ,योग और उचित दिनचर्या के दम पर सौ वर्ष की दीर्घायु प्राप्त की है हमारा शरीर स्वयं रोगों से लड़ने में सक्षम है बस जरूरत है कुछ जरूरी बदलाव की जिसे नाम दिया गया है प्राकृतिक चिकित्सा जो सदियों से मानव देह को रोग मुक्त करने में प्रचलित रही है प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद करते हैं, साथ ही जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ाते हैं कई सारी बीमारियां जो कि आधुनिक युग ने दी हैं जैसे कि स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह, गठिया ,डिप्रेशन आदि ये सब इससे नियंत्रित होती हैं और अन्य रोग भी नहीं होते हैं ।
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली वो चिकित्सा प्रणाली है जिसमें दवाओं का उपयोग किए बिना सिर्फ मिट्टी ,पानी व खान पान में परिवर्तन से रोगों को ठीक किया जाता है. नैचुरोपैथी में कई रोगों को रोकने की क्षमता है और जो रोग हो चुके हैं उनका इलाज आप कर सकते हैं. एक अच्छा स्वास्थ्य मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे अच्छा उपहार है, लेकिन आज के दौर में व्यक्ति अपनी यांत्रिक जीवन शैली में इतना व्यस्त होता जा रहा है कि उसने खुद को प्रकृति से बिलकुल दूर कर लिया है ।
नैचुरोपैथी एवं योग का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी दिनचर्या बदलकर स्वस्थ रहने की कला सिखाता है इससे न केवल आपके रोग ठीक होते हैं बल्कि आपका शरीर भी मज़बूत बनता है और आपके चेहरे पर चमक आती है. योग संस्कृत के युज धातु से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है जोड़ना ।
यदि आप मानसिक बीमारियों से ग्रस्त है तो योग आपके जीवन को नई दिशा दे सकता है अनुलोम विलोम,भस्त्रिका,नाड़ी शोधन जैसे योग इन रोगों में काफी प्रभावी है
प्राकृतिक चिकित्सा में मुख्य रूप से खाद्य थैरेपी, मिट्टी थेरैपी,जल चिकित्सा,मालिश थेरैपी काम मे ली जाती है चूँकि हमारा शरीर पंच महाभूतों जन ,अग्नि,नभ ,धरती,वायु से बना है तो प्राकृतिक चिकित्सा तन के साथ साथ मन पर भी असरदार है
डॉ ध्रुव सनाढ़य ने बताया के नाभि हमारा केंद्र है और यही विष का मुख्य स्थल भी है यहाँ पर मिट्टी का लेपन करने से कब्ज,उच्च रक्तचाप,सरदर्द जैसी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है सरकार को चाहिए के वो युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी को कम करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा दे क्यो के इसके लिए महंगे उपकरणों की आवश्यकता नहीं और इसमें प्रयुक्त सामग्री भी सर्व सुलभ है।
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली वो चिकित्सा प्रणाली है जिसमें दवाओं का उपयोग किए बिना सिर्फ मिट्टी ,पानी व खान पान में परिवर्तन से रोगों को ठीक किया जाता है. नैचुरोपैथी में कई रोगों को रोकने की क्षमता है और जो रोग हो चुके हैं उनका इलाज आप कर सकते हैं. एक अच्छा स्वास्थ्य मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे अच्छा उपहार है, लेकिन आज के दौर में व्यक्ति अपनी यांत्रिक जीवन शैली में इतना व्यस्त होता जा रहा है कि उसने खुद को प्रकृति से बिलकुल दूर कर लिया है ।
नैचुरोपैथी एवं योग का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी दिनचर्या बदलकर स्वस्थ रहने की कला सिखाता है इससे न केवल आपके रोग ठीक होते हैं बल्कि आपका शरीर भी मज़बूत बनता है और आपके चेहरे पर चमक आती है. योग संस्कृत के युज धातु से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है जोड़ना ।
यदि आप मानसिक बीमारियों से ग्रस्त है तो योग आपके जीवन को नई दिशा दे सकता है अनुलोम विलोम,भस्त्रिका,नाड़ी शोधन जैसे योग इन रोगों में काफी प्रभावी है
प्राकृतिक चिकित्सा में मुख्य रूप से खाद्य थैरेपी, मिट्टी थेरैपी,जल चिकित्सा,मालिश थेरैपी काम मे ली जाती है चूँकि हमारा शरीर पंच महाभूतों जन ,अग्नि,नभ ,धरती,वायु से बना है तो प्राकृतिक चिकित्सा तन के साथ साथ मन पर भी असरदार है
डॉ ध्रुव सनाढ़य ने बताया के नाभि हमारा केंद्र है और यही विष का मुख्य स्थल भी है यहाँ पर मिट्टी का लेपन करने से कब्ज,उच्च रक्तचाप,सरदर्द जैसी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है सरकार को चाहिए के वो युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी को कम करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा दे क्यो के इसके लिए महंगे उपकरणों की आवश्यकता नहीं और इसमें प्रयुक्त सामग्री भी सर्व सुलभ है।
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