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प्रेम से मजबूत बनाए करीबी रिश्तों को, जिन्दगी की अनमोल पूँजी हैं ये
उम्र के 20वें वर्ष में पहुँच चुकी सिमरन इस बात को लेकर चिन्तित नजर आ रही थी कि अब उसे अपनी माँ को छोडक़र आगे पढऩे के लिए शहर से बाहर जाना पड़ेगा। दूसरे शहर में उसे हॉस्टल में रहते हुए अकेले समय बिताना होगा। बचपन से माँ के साये में रही सिमरन पहली बार माँ से दूर जाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन उसका मन बार-बार यह सोचकर परेशान हो रहा था कि वह वहाँ अकेली कैसे रहेगी। इसी उधेड़बुन में उसने माँ का आँचल छोडक़र अपनी राह पकड़ी थी। लेकिन आज अपनी सहेलियों के साथ देर रात को होटल में खाना खाते हुए अचानक से उसे अपनी माँ की याद आई।
वह अपने दोस्तों से कह रही थी, ‘देर रात को खाने पर मेरी राह देखती माँ की सबसे ज्यादा कीमत मुझे अब समझ में आती है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे यह कहने पर कि मैं बाद में खा लूंगी, तुम खा लो, मेरी माँ को कितनी तकलीफ होती होगी। वो मेरे खाना खाने के बाद ही खाना खाती थी। जिस दिन मैं बिना खाना खाये सो जाती थी, वह भी न के बराबर खाकर सो जाती थी। आज पढ़ाई के कारण पहली बार घर से दूर आई हूं। यहाँ अपना सारा काम खुद कर रही हूँ। रोज बाहर का कच्चा-पक्का खा रही हूं, अब जाकर समझ में आ रहा है कि माँ को वो इंतजार और उसके बाद मिलने वाला मेरा जवाब कितना चुभता होगा पर उसने कभी शिकायत नहीं की। शर्मिन्दगी से भरी सिमरन ने अपने दोस्तों से कहा कि इस बार सबसे पहले घर जाकर माँ से अपने अब तक के किए व्यवहार की माफी माँगूंगी।’ ऐसा कहते हुए 20 वर्षीय सिमरन की आँखों से अश्रुधारा बह निकली।
वह अपने दोस्तों से कह रही थी, ‘देर रात को खाने पर मेरी राह देखती माँ की सबसे ज्यादा कीमत मुझे अब समझ में आती है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे यह कहने पर कि मैं बाद में खा लूंगी, तुम खा लो, मेरी माँ को कितनी तकलीफ होती होगी। वो मेरे खाना खाने के बाद ही खाना खाती थी। जिस दिन मैं बिना खाना खाये सो जाती थी, वह भी न के बराबर खाकर सो जाती थी। आज पढ़ाई के कारण पहली बार घर से दूर आई हूं। यहाँ अपना सारा काम खुद कर रही हूँ। रोज बाहर का कच्चा-पक्का खा रही हूं, अब जाकर समझ में आ रहा है कि माँ को वो इंतजार और उसके बाद मिलने वाला मेरा जवाब कितना चुभता होगा पर उसने कभी शिकायत नहीं की। शर्मिन्दगी से भरी सिमरन ने अपने दोस्तों से कहा कि इस बार सबसे पहले घर जाकर माँ से अपने अब तक के किए व्यवहार की माफी माँगूंगी।’ ऐसा कहते हुए 20 वर्षीय सिमरन की आँखों से अश्रुधारा बह निकली।
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