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वस्त्र उद्योग के साथ फड़ चित्रकला और ऐतिहासिक धरोहर के लिए पर्यटकों को लुभाता है भीलवाड़ा
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दरगाह हजरत गुल अली बाबा
शहर के सांगानेरी गेट पर स्थित यह दरगाह आस्ताना हजरत गुल अली बाबा रहमतुल्लाह अलेही के नाम से मशहूर है। यहाँ सभी धर्मों के लोग आस्था रखते हैं। दरगाह पर प्रति वर्ष 1 से 3 नवम्बर तक उर्स का आयोजन होता है जो बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दरगाह के पास ही एक विशाल मस्जिद भी स्थित है जो रजा मस्जिद के नाम से जानी जाती है। इस मस्जिद में पांच हजार लोग एकसाथ नमाज अदा कर सकते हैं। दरगाह के सामने ही सुव्यवस्थित ढंग से एक नगरी बसी हुई है जिसे गुल अली नगरी के नाम से जाना जाता है। इस नगरी में कुल-दे-सेक- यानी वो गली जो आगे जाकर बंद हो जाती है, यहाँ की खास पहचान है। आस्ताना गुल अली में ही एक दारुल उलूम भी संचालित है जिसका नाम सुल्तानुल हिन्द ओ रजा दारुल उलूम है इस दारुल उलूम में देश के कई राज्यों से आये बच्चे इल्म हासिल करते हैं।
दरगाह हजरत गुल अली बाबा
शहर के सांगानेरी गेट पर स्थित यह दरगाह आस्ताना हजरत गुल अली बाबा रहमतुल्लाह अलेही के नाम से मशहूर है। यहाँ सभी धर्मों के लोग आस्था रखते हैं। दरगाह पर प्रति वर्ष 1 से 3 नवम्बर तक उर्स का आयोजन होता है जो बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दरगाह के पास ही एक विशाल मस्जिद भी स्थित है जो रजा मस्जिद के नाम से जानी जाती है। इस मस्जिद में पांच हजार लोग एकसाथ नमाज अदा कर सकते हैं। दरगाह के सामने ही सुव्यवस्थित ढंग से एक नगरी बसी हुई है जिसे गुल अली नगरी के नाम से जाना जाता है। इस नगरी में कुल-दे-सेक- यानी वो गली जो आगे जाकर बंद हो जाती है, यहाँ की खास पहचान है। आस्ताना गुल अली में ही एक दारुल उलूम भी संचालित है जिसका नाम सुल्तानुल हिन्द ओ रजा दारुल उलूम है इस दारुल उलूम में देश के कई राज्यों से आये बच्चे इल्म हासिल करते हैं।
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