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कुपोषण से लड़ने को बघेल सरकार ने बनाई 'मधुर गुड़ योजना'
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुपोषण को नक्सलवाद से बड़ी चुनौती मानते हैं और यही कारण है कि इसके खात्मे के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। अब बस्तर में कुपोषण को खत्म करने के लिए 'गुड़' को हथियार बनाया जा रहा है। इसके लिए 'मधुर गुड़ योजना' शुरू की गई है। छत्तीसगढ़ में कुपोषण एक बड़ी समस्या है और जो आंकड़े सामने हैं, वे डरवाने हैं। यहां के 37 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं, तो वहीं 41 फीसदी महिलाएं खून की कमी अर्थात एनीमिया से पीड़ित हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कुपोषण को नक्सलवाद से बड़ी समस्या मानते हैं।
राज्य सरकार ने बस्तर क्षेत्र के 7 जिलों में कुपोषण और एनीमिया का मुकाबला करने के लिए 'मधुर गुड़ योजना' की शुरुआत की है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के अनुसार "इस योजना से 6 लाख 59 हजार से अधिक गरीब परिवारों को लाभ मिलेगा। प्रत्येक गरीब परिवार को 17 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2 किलोग्राम गुड़ प्रतिमाह दिया जाएगा। इस योजना में हर साल 15 हजार 800 टन गुड़ बांटा जाएगा और इस पर 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे विटामिन सी और आयरन की कमी दूर की जा सकेगी। कुपोषण और एनीमिया के बड़े कारक मलेरिया से मुक्ति के भी प्रयास हो रहे हैं।"
उल्लेखनीय है कि बस्तर को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के संकल्प के साथ मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान भी शुरू किया गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घरों के साथ ही स्कूलों, आश्रम, छात्रावासों और पैरा मिलिट्री कैम्पों में जाकर मलेरिया की जांच कर रही है। इसके साथ ही हाट-बाजारों में लोगों की जागरूकता के लिए अभियान चलाया जा रहा है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन के साथ ही एनीमिया, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण दूर करने पर भी फोकस किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने बस्तर क्षेत्र के 7 जिलों में कुपोषण और एनीमिया का मुकाबला करने के लिए 'मधुर गुड़ योजना' की शुरुआत की है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के अनुसार "इस योजना से 6 लाख 59 हजार से अधिक गरीब परिवारों को लाभ मिलेगा। प्रत्येक गरीब परिवार को 17 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2 किलोग्राम गुड़ प्रतिमाह दिया जाएगा। इस योजना में हर साल 15 हजार 800 टन गुड़ बांटा जाएगा और इस पर 50 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे विटामिन सी और आयरन की कमी दूर की जा सकेगी। कुपोषण और एनीमिया के बड़े कारक मलेरिया से मुक्ति के भी प्रयास हो रहे हैं।"
उल्लेखनीय है कि बस्तर को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के संकल्प के साथ मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान भी शुरू किया गया है। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घरों के साथ ही स्कूलों, आश्रम, छात्रावासों और पैरा मिलिट्री कैम्पों में जाकर मलेरिया की जांच कर रही है। इसके साथ ही हाट-बाजारों में लोगों की जागरूकता के लिए अभियान चलाया जा रहा है। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अंतर्गत मलेरिया उन्मूलन के साथ ही एनीमिया, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण दूर करने पर भी फोकस किया जा रहा है।
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