There is silence without students in Delhi libraries-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Mar 29, 2024 12:23 pm
Location
Advertisement

दिल्ली की लाइब्रेरियों में छात्रों के बिना छाई है खामोशी

khaskhabar.com : मंगलवार, 22 सितम्बर 2020 08:53 AM (IST)
दिल्ली की लाइब्रेरियों में छात्रों के बिना छाई है खामोशी
नई दिल्ली। दिल्ली के सुल्तानपुरी में टॉक अलॉट लाइब्रेरी के मालिक नंद किशोर का कहना है कि बीते 6 महीने में उन्हें बहुत नुकसान हुआ। कर्जा तक चुकाने में असमर्थ हो गए हैं। उन्होंने कहा, "हमारा रोजगार छीन गया और बहुत परेशान भी हुए। हमारी लाइब्रेरी का रेंट माफ नहीं किया गया और लाइब्रेरी अभी तक बंद पड़ी हुई है।"

कोरोनाकाल में दिल्ली की प्राइवेट लाइब्रेरियों में छात्रों की कमी की वजह से खामोशी छाई हुई है। अनलॉक 4 में अब बच्चों ने धीरे-धीरे आना शुरू तो किया है, लेकिन लाइब्रेरी के अंदर बच्चों के होने से जो रौनक हुआ करती थी, वो अब फीकी पड़ चुकी है।

दरअसल, दिल्ली के मुखर्जी नगर, लक्ष्मी नगर, करोल बाग, गांधी विहार, ओल्ड रजिंदर नगर और साउथ दिल्ली के कुछ जगहों पर सैकड़ों संख्या में प्राइवेट लाइब्रेरी खुली हुई हैं।

छात्र इन लाइब्रेरी में एक फीस देकर पढ़ाई करने की एक सुविधा प्राप्त करते हैं। वहीं अपनी आगामी परीक्षाओं की तैयारी भी करते हैं। हालांकि जब से कोरोना वायरस बीमारी फैली है, तब से इन लाइब्रेरियों में सन्नाटा पसरा हुआ है।

नंद किशोर ने आईएएनएस को आगे बताया, "अभी जिन छात्रों के परीक्षा शुरू होने वाली है, सिर्फ वही गिने-चुने बच्चे आ रहे हैं और हम उनसे भी 50 फीसदी फीस ले रहे हैं।"

किशोर ने अनुमान लगाते हुए कहा, "दिल्ली में करीब 2500 प्राइवेट लाइब्रेरी हो सकती हैं, वहीं इन लाइब्रेरी के जरिये छात्रों को पढ़ाई के लिए जगह और हमें एक रोजगार मिल जाता है। सरकार जब तक अनुमति नहीं देगी, तब तक कुछ नहीं हो सकता।"

हालांकि इनके अलावा दिल्ली में करीब 150 लाइब्रेरी है जिन्हें काफी अच्छा माना जाता है वहीं इसमें कुछ सरकारी लाइब्रेरी भी शामिल है। मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के असिस्टेंट इन्फॉर्मेशन ऑफिसर महेश कुमार अरोड़ा ने आईएएनएस को बताया, "हमारी सरकारी लाइब्रेरी है, सरकार के जो भी दिशा-निर्देश हैं, उनका पालन किया जा रहा है। वहीं हमने 1 जून से लाइब्रेरी में लिमिटेड सर्विसेस भी शुरू कर दी है।"

उन्होंने बताया, "लाइब्रेरी में बच्चों को आने की अनुमति नहीं है और न ही बच्चे बैठ कर पढ़ाई कर पा रहे हैं, इसलिए हमने बच्चों के लिए ऑनलाइन किताबें उपलब्ध करा रखी हैं। हमने बच्चों का पिछला फाइन भी माफ कर दिया है। हालांकि अभी कुछ बच्चे आ रहे हैं जो किताब लेकर वापस चले जाते हैं।"

अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली में करीब 150 लाइब्रेरी हैं, जिनको लाइब्रेरी कहा जा सकता है। वरना कई घरों में लाइब्रेरी खुली हुई हैं, जहां सेवा के बदले बच्चों से पैसे लिए जाते हैं।

लक्ष्मी नगर की वीर लाइब्रेरी के मालिक वीर प्रदीप चौधरी ने आईएएनएस को बताया, "लाइब्रेरी में बच्चों को पढ़ाई का माहौल मिल जाता है। छात्र यहां आकर सरकारी नौकरी और अन्य परिक्षाओं की तैयारी करते हैं। मेरी लाइब्रेरी में अभी फिलहाल कुछ ही बच्चे आ रहे हैं जिनकी हाल ही में परीक्षा होने वाली हैं।"

उन्होंने कहा, "हम अपनी लाइब्रेरी में बच्चों को दूर-दूर बिठाते हैं, क्योंकि अभी छात्र कम हैं, तो खुद ही वे दूर-दूर बैठकर पढ़ाई करते हैं। अनलॉक 3 के बाद से हमने लाइब्रेरी शुरू की थी, वहीं बच्चों को शिफ्टों में बुला रहे हैं, ताकि हम भी लाइब्रेरी को सैनिटाइज कर सकें।"

चौधरी ने कहा, "सरकार की तरफ से हमें कोई सहयोग नहीं मिला। छात्रों के एक हाथ में भविष्य और दूसरे हाथ में वर्तमान होता है, अभी दोनों खतरे में हैं।"
(आईएएनएस)

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

Advertisement
Khaskhabar.com Facebook Page:
Advertisement
Advertisement