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आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास योजना - विभिन्न वर्गों के विद्यार्थी कर सकते हैं आवेदन
जयपुर । प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आवासीय विद्यालय योजना एवं छात्रावास योजना संचालित की जा रही है। राज्य में बालक-बालिकाओं के लिए 24 आवासीय विद्यालयों तथा 802 छात्रावासों का संचालन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव सांवरमल वर्मा ने बताया कि आवासीय विद्यालय योजना का उद्देश्य राज्य में अनु0जाति,जनजाति,अन्य पिछडा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्र-छात्राओं एवं निष्क्रमणीय पशुपालकों तथा भिक्षावृृति एवं अन्य वृृतियों में लिप्त परिवारों के बच्चों को स्वच्छ एवं शिक्षानुकूल वातावरण में कक्षा 6 से 12 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। योजना के तहत आवासीय विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, भोजन, पोशाक,पाठयपुस्तकें, चिकित्सा आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। इसी प्रकार छात्रावास योजना के अन्तगर्त छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवास, भोजन वस्त्र, स्टेशनरी, शिक्षण प्रशिक्षण, खेलकूद एवं कठिन विषयों के लिए विशेष कोचिंग, कम्प्यूटर शिक्षा की सुविधा एवं अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होेंने आवासीय विद्यालयों के लिए पात्रता की शर्तोे को स्पष्ट करते हुए बताया कि अनुुसूचित जाति क्षेत्रों में स्थापित आवासीय विद्यालयों में 60 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु, 15 प्रतिशत स्थान अन्य पिछडा वर्ग (विशेष पिछडा वर्ग सहित) तथा 10 प्रतिशत आर्थिक पिछडा वर्ग के लिए निर्धारित है। इसी तरह अनुसूचित जनजाति क्षेत्रो में स्थापित आवासीय विद्यालयों में 60 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जनजाति के लिए, 15 प्रतिशत अनु.जाति वर्ग हेतु, 15 प्रतिशत स्थान अन्य पिछडा वर्ग (विशेष पिछडा वर्ग सहित ) तथा 10 प्रतिशत आर्थिक पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित है।
इसी प्रकार विशेष पिछडा वर्ग के क्षेत्र में स्थापित आवासीय विद्यालयों (देवनारायण आवासीय विद्यालय) में 60 प्रतिशत स्थान विशेष पिछडा वर्ग के लिए, 10 प्रतिशत अनु.जाति वर्ग के लिए, 10 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जनजाति, 10 प्रतिशत अन्य पिछडा वर्ग तथा 10 प्रतिशत आर्थिक पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित है। निष्क्रमणीय पशुपालकों के बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों में 100 प्रतिशत स्थान उनके लिए ही आरक्षित है। इसी तरह भिक्षावृृति एवं अन्य अवांछित वृृतियों में लिप्त परिवारों के बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों में 100 प्रतिशत स्थान भिक्षावृृति एवं अन्य वृृतियों में लिप्त परिवारों के बच्चों के लिए ही आरक्षित है।
निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव सांवरमल वर्मा ने बताया कि आवासीय विद्यालय योजना का उद्देश्य राज्य में अनु0जाति,जनजाति,अन्य पिछडा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्र-छात्राओं एवं निष्क्रमणीय पशुपालकों तथा भिक्षावृृति एवं अन्य वृृतियों में लिप्त परिवारों के बच्चों को स्वच्छ एवं शिक्षानुकूल वातावरण में कक्षा 6 से 12 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। योजना के तहत आवासीय विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, भोजन, पोशाक,पाठयपुस्तकें, चिकित्सा आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। इसी प्रकार छात्रावास योजना के अन्तगर्त छात्र-छात्राओं को निःशुल्क आवास, भोजन वस्त्र, स्टेशनरी, शिक्षण प्रशिक्षण, खेलकूद एवं कठिन विषयों के लिए विशेष कोचिंग, कम्प्यूटर शिक्षा की सुविधा एवं अन्य सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
उन्होेंने आवासीय विद्यालयों के लिए पात्रता की शर्तोे को स्पष्ट करते हुए बताया कि अनुुसूचित जाति क्षेत्रों में स्थापित आवासीय विद्यालयों में 60 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु, 15 प्रतिशत स्थान अन्य पिछडा वर्ग (विशेष पिछडा वर्ग सहित) तथा 10 प्रतिशत आर्थिक पिछडा वर्ग के लिए निर्धारित है। इसी तरह अनुसूचित जनजाति क्षेत्रो में स्थापित आवासीय विद्यालयों में 60 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जनजाति के लिए, 15 प्रतिशत अनु.जाति वर्ग हेतु, 15 प्रतिशत स्थान अन्य पिछडा वर्ग (विशेष पिछडा वर्ग सहित ) तथा 10 प्रतिशत आर्थिक पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित है।
इसी प्रकार विशेष पिछडा वर्ग के क्षेत्र में स्थापित आवासीय विद्यालयों (देवनारायण आवासीय विद्यालय) में 60 प्रतिशत स्थान विशेष पिछडा वर्ग के लिए, 10 प्रतिशत अनु.जाति वर्ग के लिए, 10 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जनजाति, 10 प्रतिशत अन्य पिछडा वर्ग तथा 10 प्रतिशत आर्थिक पिछडा वर्ग के लिए आरक्षित है। निष्क्रमणीय पशुपालकों के बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों में 100 प्रतिशत स्थान उनके लिए ही आरक्षित है। इसी तरह भिक्षावृृति एवं अन्य अवांछित वृृतियों में लिप्त परिवारों के बच्चों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों में 100 प्रतिशत स्थान भिक्षावृृति एवं अन्य वृृतियों में लिप्त परिवारों के बच्चों के लिए ही आरक्षित है।
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