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अक्टूबर की हीरोईन बनिता ने वरुण धवन में बताई ये खासियत
मुंबई। फिल्म ‘अक्टूबर’ की शूटिंग के दौरान अपनी आंखें बंद रखकर रहना और ऑन स्क्रीन कुछ नहीं करना ब्रिटिश मूल की भारतीय अभिनेत्री बनिता संधू के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण था।
शूजित सरकार की अत्यधिक प्रशंसित फिल्म में एक बेहोश लडक़ी का किरदार निभा चुकी बनिता ने कहा कि शिउली का किरदार निभाते वक्त बहुत-सा होमवर्क करना पड़ा। शिउली ने मौत को बहुत नजदीक से अनुभव किया था।
उन्होंने कहा कि इस किरदार को निभाते वक्त सबसे ऊबाऊ काम था सभी गतिविधियों को बंद कर देना।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं झूठ नहीं बोलूंगी। बहुत लंबे समय तक ऐसा करना कष्टप्रद था, विशेषकर जब मेरी आंखें बंद होती थीं। हमने जरूरत के अनुसार फिल्म की शूटिंग की, इसलिए मैंने अपनी आंखें करीब एक सप्ताह तक बंद रखी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और जब मैंने आखिरकार अपनी आंखें खोली, तो आप विश्वास नहीं कर सकते कि मुझे कितनी राहत और उत्साह महसूस हुआ। मैं अब सचेत होकर अभिनय कर सकती थी, यह सब मेरी आंखों की वजह से हो सका।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने वास्तव में सभी पलों का फायदा उठाने का प्रयास किया। मैं कुछ करना चाहती थी और समय के मुताबिक यह दृश्य फिल्म की मांग थी। मैं आसानी से इसे करने में सक्षम थी, क्योंकि मैं लंबे समय से अभिनय करके पेरशान हो गई थी, जबकि मेरे आसपास के लोग सक्रिय थे।’’
ब्रिटेन में जन्मीं और पली-बढ़ी बनिता के लिए हिंदी एक समस्या थी।
उन्होंने कहा, ‘‘भाषा की समस्या थी, लेकिन आप फिल्म में देखेंगे कि मेरे डायलॉग बहुत सीमित थे। इसलिए हमने इसे अच्छी तरह से फिल्माया। शूजित सर और मैं दोनों ही इस किरदार के लिए मेरी आवाज को लेकर बहुत हठी थे, क्योंकि मेरे डायलॉग के मुकाबले मेरी प्रस्तुति अधिक महत्वपूर्ण थी।’’
शूजित सरकार की अत्यधिक प्रशंसित फिल्म में एक बेहोश लडक़ी का किरदार निभा चुकी बनिता ने कहा कि शिउली का किरदार निभाते वक्त बहुत-सा होमवर्क करना पड़ा। शिउली ने मौत को बहुत नजदीक से अनुभव किया था।
उन्होंने कहा कि इस किरदार को निभाते वक्त सबसे ऊबाऊ काम था सभी गतिविधियों को बंद कर देना।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं झूठ नहीं बोलूंगी। बहुत लंबे समय तक ऐसा करना कष्टप्रद था, विशेषकर जब मेरी आंखें बंद होती थीं। हमने जरूरत के अनुसार फिल्म की शूटिंग की, इसलिए मैंने अपनी आंखें करीब एक सप्ताह तक बंद रखी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और जब मैंने आखिरकार अपनी आंखें खोली, तो आप विश्वास नहीं कर सकते कि मुझे कितनी राहत और उत्साह महसूस हुआ। मैं अब सचेत होकर अभिनय कर सकती थी, यह सब मेरी आंखों की वजह से हो सका।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मैंने वास्तव में सभी पलों का फायदा उठाने का प्रयास किया। मैं कुछ करना चाहती थी और समय के मुताबिक यह दृश्य फिल्म की मांग थी। मैं आसानी से इसे करने में सक्षम थी, क्योंकि मैं लंबे समय से अभिनय करके पेरशान हो गई थी, जबकि मेरे आसपास के लोग सक्रिय थे।’’
ब्रिटेन में जन्मीं और पली-बढ़ी बनिता के लिए हिंदी एक समस्या थी।
उन्होंने कहा, ‘‘भाषा की समस्या थी, लेकिन आप फिल्म में देखेंगे कि मेरे डायलॉग बहुत सीमित थे। इसलिए हमने इसे अच्छी तरह से फिल्माया। शूजित सर और मैं दोनों ही इस किरदार के लिए मेरी आवाज को लेकर बहुत हठी थे, क्योंकि मेरे डायलॉग के मुकाबले मेरी प्रस्तुति अधिक महत्वपूर्ण थी।’’
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