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मल्टी स्टारर फिल्में : पैसे कमाने की सदाबहार प्रवृत्ति, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
फिल्म निर्माता अनीस बज्मी ने आईएएनएस से हुई बातचीत में कहा, वे अपनी
फिल्मों में कलाकारों को महज इस वजह से नहीं लेते कि पोस्टर में उनके चेहरे
दिखा सकें। अगर मूवी में 7 से 10 कलाकार हैं तो इसका मतलब यह है कि फिल्म
में 7 से 10 कैरेक्टर हैं। उन्हें ऐसा महसूस करना चाहिए कि यह उनकी अपनी
फिल्म है।
बज्मी ने आगे कहा, मल्टी स्टारर फिल्मों को बनाना काफी मुश्किल भी होता है। कलाकारों के डेट्स को मैनेज कर शूटिंग करनी पड़ती है। अमूमन मल्टी स्टारर फिल्मों का हिस्सा रहे अभिनेता कुणाल खेमू ने आईएएनएस से कहा, मल्टी स्टारर फिल्मों की सबसे खास बात यह होती है कि इसकी जिम्मेदारी किसी एक के ऊपर नहीं होती। हालांकि यही एकमात्र कारण नहीं है, मल्टी स्टारर फिल्मों ने हमेशा से ही मुझे अपनी ओर आकर्षित किया है।
गोलमाल जैसी फिल्में सभी कलाकारों की वजह से चलती है। यह फिल्म जितनी अजय देवगन की है, उतनी ही मेरी या अरशद या तुषार की है। इस तरह की कहानियां एक गैंग की हैं। निष्कर्ष के तौर पर गिरीश जौहर ने कहा कि मल्टी स्टारर फिल्मों का दौर पहले भी था, अब भी है और आगे भी यह बरकरार रहेगा।
(IANS)
बज्मी ने आगे कहा, मल्टी स्टारर फिल्मों को बनाना काफी मुश्किल भी होता है। कलाकारों के डेट्स को मैनेज कर शूटिंग करनी पड़ती है। अमूमन मल्टी स्टारर फिल्मों का हिस्सा रहे अभिनेता कुणाल खेमू ने आईएएनएस से कहा, मल्टी स्टारर फिल्मों की सबसे खास बात यह होती है कि इसकी जिम्मेदारी किसी एक के ऊपर नहीं होती। हालांकि यही एकमात्र कारण नहीं है, मल्टी स्टारर फिल्मों ने हमेशा से ही मुझे अपनी ओर आकर्षित किया है।
गोलमाल जैसी फिल्में सभी कलाकारों की वजह से चलती है। यह फिल्म जितनी अजय देवगन की है, उतनी ही मेरी या अरशद या तुषार की है। इस तरह की कहानियां एक गैंग की हैं। निष्कर्ष के तौर पर गिरीश जौहर ने कहा कि मल्टी स्टारर फिल्मों का दौर पहले भी था, अब भी है और आगे भी यह बरकरार रहेगा।
(IANS)
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