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कैंसर पीड़िता की पहचान नहीं चाहती : लीजा रे
यह पूछे जाने पर कि क्या एक समय के बाद कैंसर से जंग जीतने वाले
लोगों को उस तमगे से बाहर आ जाना चाहिए? इस पर लीजा ने अपनी सहमति जताते
हुए कहा, "हम सभी तमगों के शिकार हैं, कई तरह के अजीबोगरीब तमगे हैं और
'कैंसर सर्वाइवर' भी उन्हीं में से एक है। व्यक्तिगत तौर पर रोजमर्रा की
जिंदगी में मैं इसकी पहचान नहीं चाहती। मैं हर सुबह यह सोचकर नहीं जगना
चाहती कि 'अरे, मैं तो एक कैंसर सर्वाइवर हूं।' मैं, मैं हूं। अपने कैंसर
के अनुभव के रास्ते मैंने कई अच्छे अनुभव किए हैं।"
लीजा ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बताया, "हम खुद को कोई तमगा नहीं देते हैं, दूसरे लोग इस तरह के तमगे दे देते हैं। भारत में हमें शायद लोगों को इस तरह के नाम देना पसंद करते हैं।"
लीजा ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बताया, "हम खुद को कोई तमगा नहीं देते हैं, दूसरे लोग इस तरह के तमगे दे देते हैं। भारत में हमें शायद लोगों को इस तरह के नाम देना पसंद करते हैं।"
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