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घरेलू वाहन कलपुर्जा कारोबार के सालाना 15 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान
नयी दिल्ली। घरेलू वाहन कलपुर्जा कारोबार के वित्त वर्ष 2023 में वार्षिक आधार पर 10 से 15 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च के मुताबिक कच्चे माल की लागत बढ़ने से वित्त वर्ष 22 की अपेक्षा वित्त वर्ष 23 में कलपुर्जा कारोबार के बढ़ने की गति धीमी पड़ रही है। वित्त वर्ष 22 में सालाना आधार पर इस कारोबार के 20 से 25 फीसदी बढ़ने का अनुमान जताया गया है।
असली उपकरण निर्माताओं के उत्पादन में तेजी और निर्यात मांग में बढ़ोतरी के बरकरार रहने से कलपुर्जा कारोबार को गति मिल रही है।
एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 22 में कच्चे माल की लागत में हुई बढोतरी अगले वित्त वर्ष भी जारी रहेगी। इसके अलावा मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में बिक्री में हुई बढोतरी भी अगले वित्त वर्ष जारी रहेगी।
वित्त वर्ष 23 में कलपुर्जा कारोबार में लाभ के लगभग सपाट रहने या इसमें हल्की तेजी आने की संभावना जतायी गयी है। आपूर्ति बाधा, ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण लॉजिस्टिक की बढ़ी लागत और कमोडिटी के दाम में तेजी से संचालन लागत अधिक रहेगी और पूंजीगत व्यय भी अधिक रहेगा।
इस क्षेत्र के प्रदर्शन पर कोरोना की अगली लहर और तेजी से बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों का भी असर रहेगा।
इस क्षेत्र में शोध एवं विकास, प्रौद्योगिकी संबंधी समझौते और अधिग्रहण भी आगे जारी रहेगा।
--आईएएनएस
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च के मुताबिक कच्चे माल की लागत बढ़ने से वित्त वर्ष 22 की अपेक्षा वित्त वर्ष 23 में कलपुर्जा कारोबार के बढ़ने की गति धीमी पड़ रही है। वित्त वर्ष 22 में सालाना आधार पर इस कारोबार के 20 से 25 फीसदी बढ़ने का अनुमान जताया गया है।
असली उपकरण निर्माताओं के उत्पादन में तेजी और निर्यात मांग में बढ़ोतरी के बरकरार रहने से कलपुर्जा कारोबार को गति मिल रही है।
एजेंसी ने कहा कि वित्त वर्ष 22 में कच्चे माल की लागत में हुई बढोतरी अगले वित्त वर्ष भी जारी रहेगी। इसके अलावा मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में बिक्री में हुई बढोतरी भी अगले वित्त वर्ष जारी रहेगी।
वित्त वर्ष 23 में कलपुर्जा कारोबार में लाभ के लगभग सपाट रहने या इसमें हल्की तेजी आने की संभावना जतायी गयी है। आपूर्ति बाधा, ईंधन की कीमतों में तेजी के कारण लॉजिस्टिक की बढ़ी लागत और कमोडिटी के दाम में तेजी से संचालन लागत अधिक रहेगी और पूंजीगत व्यय भी अधिक रहेगा।
इस क्षेत्र के प्रदर्शन पर कोरोना की अगली लहर और तेजी से बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों का भी असर रहेगा।
इस क्षेत्र में शोध एवं विकास, प्रौद्योगिकी संबंधी समझौते और अधिग्रहण भी आगे जारी रहेगा।
--आईएएनएस
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