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इन चीजों के दान से बदलेंगे ग्रह, नहीं रहेगी पैसों की कमी
कुंडली में जब कोई ग्रह विपरीत परिणाम दे रहा हो, बनते काम
लगातार बिगड़ रहे हों तो ग्रहों से सम्बंधित उपाय करने चाहिए। ग्रहों की
अनुकूलता के लिए उनसे सम्बंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा
के अलावा दान सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है। दान कब किया जाए? किन चीजों
का दान किया जाए और किनका नहीं यह भी जानना जरूरी है।
शास्त्रों में खास तौर पर चार प्रकार के दान बताए गए हैं। पहला नित्यदान।
परोपकार की भावना और किसी फल की इच्छा न रखकर यह दान दिया जाता है। दूसरा
नैमित्तिक दान। यह दान जाने-अंजाने में किए पापों की शांति के लिए विद्वान
ब्राह्मणों को दिया जाता है। तीसरा काम्यदान। संतान, जीत, सुख-समृद्धि और
स्वर्ग प्राप्त करने की इच्छा से यह दान दिया जाता है। चौथा दान है
विमलदान। यह दान ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए दिया जाता है। ऐसा कहा गया
है कि न्यायपूर्वक यानी ईमानदारी से अर्जित किए धन का दसवां भाग दान करना
चाहिए। कहते हैं लगातार दान देने वाले से ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं। महिलाओं के ये 6 राज जान चौंक जाएंगे आप
पत्नी को नींद न आए,नींद पूरी न हो तो समझो
ग्रहों को अनुकूल बनाता है दान
कुंडली में जब कोई ग्रह विपरीत परिणाम दे रहा हो तो उससे सम्बंधित उपाय करने आवश्यक होते हैं। ग्रहों की अनुकूलता पाने के लिए उनसे सम्बंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा के अलावा दान करना भी एक उपाय माना जाता है। वराह पुराण के अनुसार सभी दानों में अन्न व जल का दान सर्वश्रेष्ठ है। हर सक्षम व्यक्ति को सूर्य संक्रांति, सूर्य व चंद्र ग्रहण, अधिक मास व कार्तिक शुक्ल द्वादशी को अन्न व जल का दान अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष में मूल रूप से नव ग्रहों की विभिन्न प्रकृति होती है। जैसे सौम्य व पाप ग्रह, शीतल व अग्नि तत्व वाले, वक्री और सीधी गति वाले। हर ग्रह का एक मूल स्वभाव है और उसी अनुरूप दान करना चाहिए। सूर्य देव उपवास, कथा श्रवण व नमक के परित्याग से, चंद्र भगवान शिव के मंत्रों के जाप से, मंगल ग्रह उपवास के अलावा मंत्रजाप से, तो बुध ग्रह गणपति की आराधना के साथ दान से सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं।
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ग्रहों को अनुकूल बनाता है दान
कुंडली में जब कोई ग्रह विपरीत परिणाम दे रहा हो तो उससे सम्बंधित उपाय करने आवश्यक होते हैं। ग्रहों की अनुकूलता पाने के लिए उनसे सम्बंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा के अलावा दान करना भी एक उपाय माना जाता है। वराह पुराण के अनुसार सभी दानों में अन्न व जल का दान सर्वश्रेष्ठ है। हर सक्षम व्यक्ति को सूर्य संक्रांति, सूर्य व चंद्र ग्रहण, अधिक मास व कार्तिक शुक्ल द्वादशी को अन्न व जल का दान अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष में मूल रूप से नव ग्रहों की विभिन्न प्रकृति होती है। जैसे सौम्य व पाप ग्रह, शीतल व अग्नि तत्व वाले, वक्री और सीधी गति वाले। हर ग्रह का एक मूल स्वभाव है और उसी अनुरूप दान करना चाहिए। सूर्य देव उपवास, कथा श्रवण व नमक के परित्याग से, चंद्र भगवान शिव के मंत्रों के जाप से, मंगल ग्रह उपवास के अलावा मंत्रजाप से, तो बुध ग्रह गणपति की आराधना के साथ दान से सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं।
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