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Shradh 2019 : 12 तरह के होते हैं श्राद्ध कर्म, जानिए-हर एक का मतलब
नित्य श्राद्ध : पितृपक्ष के दिनों में रोजाना जल, अन्न, दूध से श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं।
नैमित्तिक श्राद्ध : माता-पिता की मृत्यु के दिन यह श्राद्ध किया जाता है।
काम्य श्राद्ध : यह श्राद्ध विशेष सिद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
वृद्धि श्राद्ध : सौभाग्य और सुख में कामना कामने के लिए वृद्धि श्राद्ध किया जाता है।
सपिंडन श्राद्ध : यह मृत व्यक्तियों को 12वें दिन किया जाता है। इसे महिलाएं भी कर सकती है।
शुद्धयर्थ श्राद्ध : पितृपक्ष में किया जाने वाले यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।
गोष्ठी श्राद्ध : जो श्राद्ध परिवार के सभी सदस्य मिलकर करते हैं उसे गोष्ठी श्राद्ध कहा जाता है।
पार्वण श्राद्ध : इस को पर्व की तिथि पर किया जाता है। इसलिए इसे पार्वण श्राद्ध कहा जाता है।
यात्रार्थ श्राद्ध : जो श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है उसे याश्रार्थ श्राद्ध कहा जाता है।
पुष्टयर्थ श्राद्ध : जो श्राद्ध आर्थिक उन्ननि के लिए किए जाते हो इसे पुष्टयर्थ श्राद्ध कहा जाता है।
कर्मांग श्राद्ध : किसी संस्कार के मौके पर किया जाने वाले श्राद्ध कर्मांग श्राद्ध कहलाता है।
तीर्थ श्राद्ध : किसी तीर्थ पर किये जाने वाला श्राद्ध तीर्थ श्राद्ध कहा जाता है।
अगर किसी को अपने परिजन की मृत्यु की तिथि सही-सही मालूम ना हो तो इसका श्राद्ध अमावस्या तिथि को किया जाना चाहिए।
नैमित्तिक श्राद्ध : माता-पिता की मृत्यु के दिन यह श्राद्ध किया जाता है।
काम्य श्राद्ध : यह श्राद्ध विशेष सिद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
वृद्धि श्राद्ध : सौभाग्य और सुख में कामना कामने के लिए वृद्धि श्राद्ध किया जाता है।
सपिंडन श्राद्ध : यह मृत व्यक्तियों को 12वें दिन किया जाता है। इसे महिलाएं भी कर सकती है।
शुद्धयर्थ श्राद्ध : पितृपक्ष में किया जाने वाले यह श्राद्ध परिवार की शुद्धता के लिए किया जाता है।
गोष्ठी श्राद्ध : जो श्राद्ध परिवार के सभी सदस्य मिलकर करते हैं उसे गोष्ठी श्राद्ध कहा जाता है।
पार्वण श्राद्ध : इस को पर्व की तिथि पर किया जाता है। इसलिए इसे पार्वण श्राद्ध कहा जाता है।
यात्रार्थ श्राद्ध : जो श्राद्ध यात्रा की सफलता के लिए किया जाता है उसे याश्रार्थ श्राद्ध कहा जाता है।
पुष्टयर्थ श्राद्ध : जो श्राद्ध आर्थिक उन्ननि के लिए किए जाते हो इसे पुष्टयर्थ श्राद्ध कहा जाता है।
कर्मांग श्राद्ध : किसी संस्कार के मौके पर किया जाने वाले श्राद्ध कर्मांग श्राद्ध कहलाता है।
तीर्थ श्राद्ध : किसी तीर्थ पर किये जाने वाला श्राद्ध तीर्थ श्राद्ध कहा जाता है।
अगर किसी को अपने परिजन की मृत्यु की तिथि सही-सही मालूम ना हो तो इसका श्राद्ध अमावस्या तिथि को किया जाना चाहिए।
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