Advertisement
28 अक्टूबर को बन रहा है गुरु-पुष्य नक्षत्र, विवाह को छोड़ अन्य कार्यों के लिए है सर्वश्रेष्ठ
धर्मग्रन्थों और धर्माचार्यों का कहना है कि इस
नक्षत्र में जन्मी कन्याएं अपने कुल-खानदान का यश चारों दिशाओं में फैलाती
हैं अर्थात् जिस कन्या का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ हो वह सौभाग्यशालिनी,
धर्म में रूचि रखने वाली, धन-धान्य एवं पुत्रों से युक्त सौन्दर्य शालिनी
तथा पतिव्रता होती है। गुरुवार को कालाष्टमी व अहोई अष्टमी भी है। वार में
गुरुवार को श्रेष्ठ माना जाता है, तिथि में अष्टमी व नक्षत्रों में पुष्य
को श्रेष्ठ माना जाता है अत: ये योग भी उसी दिन विशेष रूप से श्रेष्ठ इस एक
दिन में इतने शुभ योग एक साथ बन रहे हैं।
गुरु-पुष्य योग में धर्म, कर्म, मंत्रजाप, अनुष्ठान, मंत्र दीक्षा अनुबंध, व्यापार आदि आरंभ करने के लिए अतिशुभ माना गया है। सृष्टि के अन्य शुभ कार्य भी इस नक्षत्र में आरंभ किये जा सकते हैं क्योंकि लक्षदोषं गुरुर्हन्ति की भांति ही ये अपनी उपस्थिति में लाखों दोषों का शमन कर देता है।
गुरु-पुष्य योग में धर्म, कर्म, मंत्रजाप, अनुष्ठान, मंत्र दीक्षा अनुबंध, व्यापार आदि आरंभ करने के लिए अतिशुभ माना गया है। सृष्टि के अन्य शुभ कार्य भी इस नक्षत्र में आरंभ किये जा सकते हैं क्योंकि लक्षदोषं गुरुर्हन्ति की भांति ही ये अपनी उपस्थिति में लाखों दोषों का शमन कर देता है।
ये भी पढ़ें - ऎसा करने से चमकेगी किस्मत
Advertisement
यह भी प�?े
Advertisement
जीवन मंत्र
Advertisement