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...तो इसलिए मनाया जाता है भाई-बहन का यह त्योहार, ये है शुभ मुहूर्त
शुक्रवार को पूरे देश में भैयादूज के त्योहार की धूम है। इसका शुभ मुहूर्त दो घंटे 17 मिनट यानी दोपहर 1.10 से 3.27 बजे तक रहेगा। हिन्दू समाज में भाई-बहन के स्नेह और सौहाद्र्र का प्रतीक भैयादूज दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। क्योंकि यह दिन यम द्वितीय भी कहलाता है, इसलिए इस पर्व पर यम देव की पूजा भी की जाती है। क्या आपको पता है कि भैयादूज मनाने के पीछे पौराणिक कथा भी है।
भैयादूज की कथा
सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थीं, एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण संज्ञा अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यम और यमुना में बहुत प्रेम था। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे। लेकिन अतिरिक्त कार्यभार के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे।
भैयादूज की कथा
सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थीं, एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण संज्ञा अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यम और यमुना में बहुत प्रेम था। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे। लेकिन अतिरिक्त कार्यभार के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे।
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