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Karva Chauth 2019 : 24 साल बाद करवा चौथ पर बन रहा है ये संयोग
हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 17 अक्टूबर यानी (गुरूवार) को मनाया जाएगा। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है और इस व्रत का महिलाओं को सालभर इंतजार रहता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
बता दें कि करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है। सूर्यास्त के बाद जब चांद निकल जाता है तब चंद्र को अर्घ्य देकर व्रती अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ व्रत में मुख्य रूप से शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है।
करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ चतुर्थी का दिन। इस दिन शादीशुदा महिलाएं नया करवा खरीदकर लाती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।
बता दें कि करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है। सूर्यास्त के बाद जब चांद निकल जाता है तब चंद्र को अर्घ्य देकर व्रती अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ व्रत में मुख्य रूप से शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है।
करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ चतुर्थी का दिन। इस दिन शादीशुदा महिलाएं नया करवा खरीदकर लाती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा के दर्शन करके अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं।
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