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बचना है शनि की क्रूर दृष्टि से तो करें ये उपाय
शनि को नवग्रहों में सबसे प्रभावी माना जाता है और जब भी शनिदेव का नाम आता
है तो इनसे सब डर हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार शनिदेव को ग्रहों में
न्यायाधीश का पद प्राप्त है। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मो का फल शनिदेव ही
उसे देते हैं। जिस जातक पर शनिदेव की क्रूर दृष्टि प़ड जाए, वह थो़डे ही
समय में राजा से रंक बन जाता है और जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाएं वह अमीर
हो जाता है।
संसार में व्यक्ति जब-जब लोभ, हवस, गुस्सा, मोह से प्रभावित होकर अपना संतुलन बिग़ाड लेता है। जानते हुए भी अपने चारों ओर अन्याय, अत्याचार, दुराचार, अनाचार, पापाचार, व्यभिचार को सहारा देता है और अंधेरे में लुक छिपकर बिना किसी को बताए बुरे कर्म करता है। वह सोचता है कि मैं जो कुछ कृत्य कर रहा हूं उसे अब कौन देख रहा है। फलस्वरूप कुकर्मो को धडल्ले से कर परम प्रसन्न होता है। वह अहंकार में अपने को सब कुछ समझ बैठता है यानी साक्षात भगवान को भी वह नकारता है और स्वयं को ईश्वर समझता है।
ऎसे जातक को अपनी मर्यादा समझने हेतू, उसे जागृत करने के लिए, आत्मपरीक्षण तथा आत्मचिंतन हेतू शनिदेव उसे दंड देते हैं। साढसती लगती है, ऎसे कार्यकाल में शनिदेव न्यायमूर्ती बनकर उसे सजा देकर सचेत करते हैं। स्मरण रखें शनि कि सूक्ष्म दिव्य दृष्टी है, दूसरा वह कर्म का फलदाता है, तीसरा जिसने जो कर्म किया है, उसका यथावत भुगतान कराते हैं। कर्मो का भुगतान ही शनिदेव सुख-दु:ख रूप में निरंतर प्रदान करते हैं।
शनि की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए जरूर करें ये उपाय
(1) आपत काल में भी शनिदेव का दर्शन करो।
(2) दुखद वक्त में भी शनिदेव पर विश्वास करो।
(3) जीवन के हर्षित पल में भी शनिदेव कि प्रशंसा करो।
(4) मुश्किल पी़डादायक वक्त में भी शनिदेव कि पूजा करो।
(5) जीवन के हर पल में शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करो।
संसार में व्यक्ति जब-जब लोभ, हवस, गुस्सा, मोह से प्रभावित होकर अपना संतुलन बिग़ाड लेता है। जानते हुए भी अपने चारों ओर अन्याय, अत्याचार, दुराचार, अनाचार, पापाचार, व्यभिचार को सहारा देता है और अंधेरे में लुक छिपकर बिना किसी को बताए बुरे कर्म करता है। वह सोचता है कि मैं जो कुछ कृत्य कर रहा हूं उसे अब कौन देख रहा है। फलस्वरूप कुकर्मो को धडल्ले से कर परम प्रसन्न होता है। वह अहंकार में अपने को सब कुछ समझ बैठता है यानी साक्षात भगवान को भी वह नकारता है और स्वयं को ईश्वर समझता है।
ऎसे जातक को अपनी मर्यादा समझने हेतू, उसे जागृत करने के लिए, आत्मपरीक्षण तथा आत्मचिंतन हेतू शनिदेव उसे दंड देते हैं। साढसती लगती है, ऎसे कार्यकाल में शनिदेव न्यायमूर्ती बनकर उसे सजा देकर सचेत करते हैं। स्मरण रखें शनि कि सूक्ष्म दिव्य दृष्टी है, दूसरा वह कर्म का फलदाता है, तीसरा जिसने जो कर्म किया है, उसका यथावत भुगतान कराते हैं। कर्मो का भुगतान ही शनिदेव सुख-दु:ख रूप में निरंतर प्रदान करते हैं।
शनि की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए जरूर करें ये उपाय
(1) आपत काल में भी शनिदेव का दर्शन करो।
(2) दुखद वक्त में भी शनिदेव पर विश्वास करो।
(3) जीवन के हर्षित पल में भी शनिदेव कि प्रशंसा करो।
(4) मुश्किल पी़डादायक वक्त में भी शनिदेव कि पूजा करो।
(5) जीवन के हर पल में शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करो।
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