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जानिए, खंडित मूर्ति की पूजा क्यों नहीं होती, शिवलिंग नहीं होता खंडित
हिन्दू धर्म का इतिहास अति प्राचीन है। इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढते रहे। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को रिती-रिवाजों से पूजन किया जाता है। हम ऐसा भी देखते है कि मंदिर या घर में कोई भी मूर्ति खंडित होने के बाद उसकी पूजा नहीं होती है। आइए जानते है आखिर क्यों किसी मूर्ति के खंडित होने के बाद उसे बहते जल में विसर्जित या वटवृक्ष के नीचे रख दिया जाता है।
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