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Dasha mata vrat 2020:सारे दुखों को दूर करता हैं दशा माता का यह व्रत, जानें पूरी कथा
दशा माता की पूजा और व्रत हिन्दू धर्म में व्यक्ति और उसके परिवार को समस्याओं से मुक्ति प्रदान करने के साथ-साथ सुख, समृद्धि और सफलता देने वाले माने जाते हैं। परिवार में आर्थिक स्थिति और सुख शांति के लिए महिलाएं दशा माता की पूजा करती हैं। इससे करने से उनके परिवार की बिगड़ी हुई दशा को सुधारने के लिए दशामाता का पूजन किया जाता है।
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशामाता का पूजन किया जाता है। यह व्रत आज ही है। महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा लाकर उसमें 10 गांठ लगाती है और पीपल के पेड़ की पूजा करती है। डोरे की पूजा करने के बाद पूजा स्थल पर नल दमयंती की कथा सुनती है। इसके बाद इस डोरे को गले में बांधती है। पूजन के बाद महिलाएं घर पर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। व्रत रखते हुए एक ही समय भोजन ग्रहण करती है। भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करती है। इस दिन घर की साफ-सफाई करके अटाला, कचरा सब बाहर फेंकने से घर की दशा सुधरती है।
यह है दशा माता की कहानी....
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय राजा नल और रानी दमयंती सुखपूर्वक जीवन व्यतित कर रहे थे। उनके दो पुत्र थे। राज्य की प्रजा बहुत सुखी थी।
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशामाता का पूजन किया जाता है। यह व्रत आज ही है। महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा लाकर उसमें 10 गांठ लगाती है और पीपल के पेड़ की पूजा करती है। डोरे की पूजा करने के बाद पूजा स्थल पर नल दमयंती की कथा सुनती है। इसके बाद इस डोरे को गले में बांधती है। पूजन के बाद महिलाएं घर पर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। व्रत रखते हुए एक ही समय भोजन ग्रहण करती है। भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करती है। इस दिन घर की साफ-सफाई करके अटाला, कचरा सब बाहर फेंकने से घर की दशा सुधरती है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय राजा नल और रानी दमयंती सुखपूर्वक जीवन व्यतित कर रहे थे। उनके दो पुत्र थे। राज्य की प्रजा बहुत सुखी थी।
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