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गाय के गोबर से ही पवित्र होता है पूजा का स्थान, जानें-क्यों
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जब भी हम कोई शुभ कार्य करते हैं तो सबसे
पहले उस जगह को पवित्र करने के लिए गाय के गोबर से लीपा जाता है। क्योंकि
ऎसा माना जाता है कि गाय में 33 करोड देवताओं का वास होता है और देवताओं की
पूजा करने से पहले उस जगह को शुद्ध किया जाना आवश्यक होता है।
दरअसल, शास्त्रों के अनुसार गाय के मुख वाले भाग को अशुद्ध और पीछे वाले भाग को शुद्ध माना जाता है। गोबर में लक्ष्मी का निवास माना गया है। इसलिए जब भी कोई पूजन या हवन जैसा कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो उस जगह को गाय के गोबर से लीपा जाता है और उसे शुद्ध किया जाता है। गोबर भयानक रोगों को भी ठीक करने में सहायक है।
इसलिए पुराने जमाने में जब भोजन गोबर के उपले और लकड़ियों से बनता था तो कई तरह की बीमारियां नहीं होती थी।
दरअसल, शास्त्रों के अनुसार गाय के मुख वाले भाग को अशुद्ध और पीछे वाले भाग को शुद्ध माना जाता है। गोबर में लक्ष्मी का निवास माना गया है। इसलिए जब भी कोई पूजन या हवन जैसा कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो उस जगह को गाय के गोबर से लीपा जाता है और उसे शुद्ध किया जाता है। गोबर भयानक रोगों को भी ठीक करने में सहायक है।
इसलिए पुराने जमाने में जब भोजन गोबर के उपले और लकड़ियों से बनता था तो कई तरह की बीमारियां नहीं होती थी।
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