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सर्जन सिर से ट्यूमर निकालता रहा, बच्ची पियानो बजाती रही
ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उस समय चिकित्सा जगत में नई इबारत लिखी गई जब यहां की एक नौ वर्षीय बच्ची सिर से ट्यूमर निकालने के लिए ऑपरेशन के दौरान बेहोश नहीं किया गया बल्कि वह ऑपरेशन की अवधि में यह बच्ची पियानो बजाती रही और उसे किसी तरह की तकलीफ भी नहीं हुई। बताया गया है कि ग्वालियर के नजदीक बानमौर में रहने वाली नौ साल की सौम्या के सिर में ट्यूमर था। इसके चलते उसे बीते दो सालों से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अखिरकार बीते दिनों सौम्या को ऑपरेशन के लिए के लिए स्थानीय एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस अस्पताल में कार्यरत न्यूरो सर्जन डॉ. अभिषेक चौहान को अवेक क्रेनियोटॉमी पद्धति (कपाल छेदन) के जरिए ट्यूमर को बाहर निकालना था। यह बड़ा कठिन ऑपरेशन था, मगर सफलता मिली।
डॉ. चौहान के मुताबिक अवेक क्रेनियोटोमी पद्धति से ऑपरेशन करने पर मरीज को बेहोश करने की बजाय सिर्फ सर्जरी वाले भाग को सुन्न कर दिया जाता है। ऑपरेशन के दौरान मरीज को कोई दिक्कत तो नहीं है, यह जानने के लिए सौम्या से ऑपरेशन के दौरान पियानो बजाने के लिए कहा गया और ऑपरेशन के दौरान स्टाफ भी लगातार उससे बात करता रहा।
वह पूरे ऑपरेशन के दौरान पियानो बजाती रही और इस तरह ब्रेन के उपयोगी हिस्से को क्षति पहुंचाए बिना ट्यूमर निकाल दिया गया। अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
चिकित्सकों का मानना है कि यह आसान शल्यक्रिया नहीं थी, इसमें जरा सी चूक बड़ा नुकसान कर सकती थी। मरीज को लकवा तक लगने की आशंका रहती है। ग्वालियर में अपनी तरह का यह पहला ऑपरेशन था। (आईएएनएस)
इस अस्पताल में कार्यरत न्यूरो सर्जन डॉ. अभिषेक चौहान को अवेक क्रेनियोटॉमी पद्धति (कपाल छेदन) के जरिए ट्यूमर को बाहर निकालना था। यह बड़ा कठिन ऑपरेशन था, मगर सफलता मिली।
डॉ. चौहान के मुताबिक अवेक क्रेनियोटोमी पद्धति से ऑपरेशन करने पर मरीज को बेहोश करने की बजाय सिर्फ सर्जरी वाले भाग को सुन्न कर दिया जाता है। ऑपरेशन के दौरान मरीज को कोई दिक्कत तो नहीं है, यह जानने के लिए सौम्या से ऑपरेशन के दौरान पियानो बजाने के लिए कहा गया और ऑपरेशन के दौरान स्टाफ भी लगातार उससे बात करता रहा।
वह पूरे ऑपरेशन के दौरान पियानो बजाती रही और इस तरह ब्रेन के उपयोगी हिस्से को क्षति पहुंचाए बिना ट्यूमर निकाल दिया गया। अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
चिकित्सकों का मानना है कि यह आसान शल्यक्रिया नहीं थी, इसमें जरा सी चूक बड़ा नुकसान कर सकती थी। मरीज को लकवा तक लगने की आशंका रहती है। ग्वालियर में अपनी तरह का यह पहला ऑपरेशन था। (आईएएनएस)
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